पत्रिका के टॉक शो में विभिन्न महिला संगठनों ने बताई कई समस्याएं और इनसे निपटने के बताए उपाय
शहर के पार्कों का रख-रखाव पूरा नहीं है। वहां चारों और गंदगी फैली रहती है। कॉलोनियों में जो पार्क है उनमें हरियाली नाम मात्र की है।
शहर सड़कों पर ठेले खड़े रहते हैं। इससे गंदगी भी होती है और वाहन चालकों को भी समस्या होती है। एेसे में इनका नश्चित स्थान होना चाहिए।
शहर में आवारा पशुओं की समस्या भी गंभीर है। वहीं श्वान का भी आतंक है। नगर परिषद को चाहिए कि इन समस्याओं से निजात दिलाएं।
सड़कों पर लाइनिंग नहीं है। ट्रैफिक लाइट्स बंद रहती है। इससे यातायात चालकों को परेशानी होती है।
कॉलोनियों में कचरा स्टैंड सही नहीं बने है। कचरा बाहर निकल जाता है। उनमें मृत पशु डालने से दुर्गंध आती है।
लैंग्वेज पर नहीं कंट्रोल
महिलाओं का मानना था कि लोगों की लैंग्वेज कंट्रोल में नहीं है। हर कहीं गलत लैंग्वेज यूज में लेते हैं। पुरुष अपनी बात कहते गाली देने लगते हैं। पुरुषों को जागरूक करना जरूरी है। ऐसा हो जाए तो महिलाओं के साथ कई प्रॉब्लम्स खुद ठीक हो जाएंगी।
एेसा हो, तब बनेगा स्मार्ट शहर
मोहल्ला ग्रुप बनें जिसमें उस सोसाइटी के हर वर्ग के लोग हों।
अंडर ब्रिज व सड़कें रात को सुनसान हो जाते हैं ऐसे में वहां पर प्रॉपर लाइटिंग होनी चाहिए
रात को जो ऑटो चलते हैं उनमें सुरक्षा के बंदोबश्त हो।बच्चों के लिए हर सेक्टर्स में प्ले एरिया बढ़ाया जाना चाहिए।
क्रैच कम है, संख्या बढऩी चाहिए
कम्युनिटी सेंटर सिर्फ शादियों के लिए नहीं,बतौर काउंसलिंग सेंटर चले।
पार्क में टॉयलेट्स और सड़कों के किनारे डस्टबिन होने चाहिए।
पैदल चलने वालों के लिए प्रॉपर पैसेज तैयार किया जाए।
डिसबेल लोगों के फ्रेंडली बने शहर ताकि दिव्यांग आसानी से जा सकें।