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भीलवाड़ा

16 करोड़ में बनाया भवन, फिर भी नहीं दिया अस्पताल का दर्जा

महात्मा गांधी जिला चिकित्सालय परिसर में मातृ एवं शिशु चिकित्सालय का भवन बनाया

भीलवाड़ाMay 20, 2018 / 12:28 pm

tej narayan

Patient problems in Mahatma Gandhi hospital in bhilwara

Patient problems in Mahatma Gandhi hospital in bhilwara

भीलवाड़ा।

सरकार ने सोलह करोड़ रुपए खर्च कर महात्मा गांधी जिला चिकित्सालय परिसर में मातृ एवं शिशु चिकित्सालय का भवन बनाया, लेकिन यह अभी एमजी अस्पताल के वार्ड के रूप में ही काम कर रहा है। इसे पूर्णत: अस्पताल का दर्जा नहीं मिला है। इसके चलते मातृ व शिशु चिकित्सालय में सुसज्जित आपातकाल इकाई स्थापित नहीं हो रही। आउटडोर समय के बाद आने वाली प्रसूताओं को इंजेक्शन भी लगवाना हो तो जिला चिकित्सालय जाना पड़ता है या फिर वार्ड में भर्ती होना पड़ता है।
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अस्पताल को खुले 9 माह हो गए। आउटडोर समय के बाद अस्पताल पहुंचने वाली मरीज महिलाओं और बच्चों को अगले दिन का इंतजार करना पड़ता है या सीधे अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। आपातकालीन कक्ष में केवल एक चिकित्सक सेवाएं देते हैं। उनके पास नर्सिंग स्टाफ भी नहीं है। एेसे में अपातकालीन कक्ष में पहुंच रहे मरीजों को इंजेक्शन भी लगाना हो तो उन्हें भर्ती करना ही पड़ेगा।

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इस प्रक्रिया में मरीज के साथ-साथ परिजनों को भी परेशान झेलनी पड़ती है। आपातकालीन चिकित्सा कक्ष में केवल डॉक्टर रूम है। यहां न नर्सिंग स्टाफ है और न इंजेक्शन व दवा। एेसे में चिकित्सक भी हर पांचवें मरीज को केवल इंजेक्शन के लिए भर्ती करने में परेशान होते है।

आउटडोर बंद होते ही दवा वितरण केन्द्र पर ताले

जनाना अस्पताल में आउटडोर बंद होने के साथ ही दवा केन्द्र भी बंद हो जाता है। आपात कक्ष में इलाज को पहुंच रही महिलाओं व बच्चों की दवा के लिए परिजनों को एमजीएच भेजा जाता है। इतना समय गुजरने के बावजूद अस्पताल प्रशासन यहां व्यापक सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा पाया।
एक्सरे, सोनोग्राफी व कई जांचे भी नहीं होती
अस्पताल में प्रसूताओं की सोनोग्राफी भी नहीं होती है। कई बार आवश्यकता पडऩे पर बच्चों के एक्सरे कराने पड़ते हैं। वे यहां नहीं होते है। प्रसूताओं व बच्चों को इन सुविधाओं के लिए महात्मा गांधी चिकित्सालय ही जाना पड़ता है। अस्पताल में रक्त की जांचे भी पूरी नहीं होती है। लैब के नाम पर केवल सेम्पल कलेक्शन रूम बना रखा है।
एमसीएच केवल वार्ड

एमसीएच केवल वार्ड है, अलग से अस्पताल नहीं है। आपातकालीन कक्ष में एक डॉक्टर लगा रखा है नर्सिंग स्टाफ लगाया जाए एेसा प्रस्ताव नहीं है। मरीजों को परेशानी हो रही है तो एमजीएच आपातकालीन कक्ष स्टाफ को उन्हे इंजेक्शन व अन्य सुविधाएं देने को पाबन्द किया जाएगा।
डॉ. एसपी आगीवाल, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, एमजीएच भीलवाड़ा

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