पंचमुखी मोक्ष धाम करीब 15 बीघा भूमि में बना हुआ है। इस पूरे मोक्षधाम की देखरेख पंचमुखी मुक्तिधाम विकास ट्रस्ट द्वारा की जाती है। सपनों के इस मोक्षधाम को संवारने में
पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू का अहम योगदान रहा है। जिन्होंने इसके लिए काफी मेहनत की।
यहां बने स्नानघर की स्वच्छता देख आप चौक जाएंगे। यहां बने स्नानघर किसी होटल के स्नानघर को भी मात देते हैं। मोक्षधाम में आठ बरामदे, एक प्रतीक्षालय बना हुआ है।
लकड़ी से दाह संस्कार की व्यवस्था के अलावा यहां 70 लाख रुपए से बना एलपीजी चलित शवदाह गृह भी है, जिसमें फिलहाल कोई शुल्क नहीं लिया जाता।
जाजू बताते हैं कि करीब 20 साल पहले वे गुजरात के जामनगर गए थे तो उनके परिचित के कहने पर वे वहां का श्मशान घाट देखने चले गए। वहां का वातावरण देखा तो उन्होंने भी भीलवाड़ा में एक ऐसा श्मशान घाट विकसित करने का दृढ निश्चय कर लिया और अपने सपनों को साकार करने लगे। इसके लिए शहर के कुछ लोगों को साथ लिया और काम शुरू कर दिया। खुद के खर्च से साफ सफाई और पानी का इंतजाम किया। कई पेड़ पौधे लगाए और देख-रेख की जिम्मेदारी ली। बाद में एक ट्रस्ट बनाया गया और जन-सहयोग से एक करोड़ रुपये एकत्र कर इस मुक्तिधाम का विकास किया किया। यूआईटी की ओर से 45 लाख और सांसद कोष से भी 25 लाख रुपए की मदद मिली। इसके रख-रखाव पर हर साल करीब 10 लाख का खर्च आता है, जिसे जन सहयोग से उठाया जाता है।