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भीलवाड़ा

राजस्थान में है देश का अनोखा ‘मोक्षधाम‘, जहां जलते मुर्दों के बीच घूमने आते हैं पर्यटक, विशेषताएं जानकर रह जाएंगे दंग

Panchmukhi Mokshdham Bhilwara : पांच हजार किताबों के समृद्ध वाचनालय के साथ जिम भी है इस श्मशान में…

भीलवाड़ाJun 19, 2018 / 01:32 pm

dinesh

Panchmukhi Mokshdham Bhilwara
भीलवाड़ा। श्मशान का नाम आते ही जेहन में अनौखा खौफ दौड़ जाता है। लेकिन भीलवाड़ा में देश का ऐसा अनोखा श्मशान Panchmukhi Mokshdham जहां पर्यटक और शहरवासी रोजाना घूमने आते हैं। एक बार यहां जो आ गया वह बार—बार आना चाहता है।
इस मोक्षधाम को दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित किया गया है। इसके नजारे किसी पिकनिक स्पॉट या पर्यटन स्थल से नजर आते हैं। देशभर के लिए मिसाल बन चुके इस श्मशान घाट में गमजदा लोग पलभर में गम भूल जाते हैं। इस श्मशान में पांच हजार से ज्यादा किताबों का समृद्ध वाचनालय है तो एक सुसज्जित अत्याधुनिक उपकरणों से युक्त जिम है।
यह नजारा जो आप देख रहे है । जहां स्थानीय निवासी घूमने के लिए आते है क्योकि यह शमशान अब पार्क के रूप में नजर आने लगा है । लोगो का कहना है कि शमसान के नाम से डर लगता था वहां अब इस नये रूप में उनका डर निकल गया । यंही नही जो भी इस श्मसान के बारे मे सुनता है जो इसे देखने जरूर आता है और ये शमशान अब धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप मे अपनी पहचान रखता है।
Panchmukhi Mokshdham Bhilwara
 

15 बीघा जमीन में फैला
पंचमुखी मोक्ष धाम करीब 15 बीघा भूमि में बना हुआ है। इस पूरे मोक्षधाम की देखरेख पंचमुखी मुक्तिधाम विकास ट्रस्ट द्वारा की जाती है। सपनों के इस मोक्षधाम को संवारने में
पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू का अहम योगदान रहा है। जिन्होंने इसके लिए काफी मेहनत की।
स्नानघर ऐसे जो बड़े होटल को देते हैं मात
यहां बने स्नानघर की स्वच्छता देख आप चौक जाएंगे। यहां बने स्नानघर किसी होटल के स्नानघर को भी मात देते हैं। मोक्षधाम में आठ बरामदे, एक प्रतीक्षालय बना हुआ है।
Panchmukhi Mokshdham Bhilwara
 

एलपीजी चलित शवदाह गृह
लकड़ी से दाह संस्कार की व्यवस्था के अलावा यहां 70 लाख रुपए से बना एलपीजी चलित शवदाह गृह भी है, जिसमें फिलहाल कोई शुल्क नहीं लिया जाता।

Panchmukhi Mokshdham Bhilwara
 
गुजरात से मिली सीख
जाजू बताते हैं कि करीब 20 साल पहले वे गुजरात के जामनगर गए थे तो उनके परिचित के कहने पर वे वहां का श्मशान घाट देखने चले गए। वहां का वातावरण देखा तो उन्होंने भी भीलवाड़ा में एक ऐसा श्मशान घाट विकसित करने का दृढ निश्चय कर लिया और अपने सपनों को साकार करने लगे। इसके लिए शहर के कुछ लोगों को साथ लिया और काम शुरू कर दिया। खुद के खर्च से साफ सफाई और पानी का इंतजाम किया। कई पेड़ पौधे लगाए और देख-रेख की जिम्मेदारी ली। बाद में एक ट्रस्ट बनाया गया और जन-सहयोग से एक करोड़ रुपये एकत्र कर इस मुक्तिधाम का विकास किया किया। यूआईटी की ओर से 45 लाख और सांसद कोष से भी 25 लाख रुपए की मदद मिली। इसके रख-रखाव पर हर साल करीब 10 लाख का खर्च आता है, जिसे जन सहयोग से उठाया जाता है।

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