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भीलवाड़ा

प्रदूषण फेला रहे उद्योगों व क्रेसर की होगी जांच

राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने खोली प्रारम्भिक लैबदो मशीन आने से विभाग को भी मिलेगी राहत

भीलवाड़ाAug 18, 2021 / 08:42 pm

Suresh Jain

प्रदूषण फेला रहे उद्योगों व क्रेसर की होगी जांच

प्रदूषण फेला रहे उद्योगों व क्रेसर की होगी जांच

भीलवाड़ा।
जिले में लगाए गए क्रेशर मशीनों का संचालन उनके मालिकों के द्वारा इन दिनों पर्यावरण नियमों को ताक पर रख कर चलाया जा रहा है। इससे राहगीरों व स्थानीय लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पर्यावरण मापदंडों के अनुसार क्रेशर मालिकों को पत्थर तोड़ते समय पानी का छिड़काव करना आवश्यक है साथ ही क्रेशर मशीन स्थापित क्षेत्र के आस पास फलदार पौधे लगाने का प्रावधान है। बावजूद इसके दरीबा, समोड़ी, पांसल की डांग, कारोई, महुआ, समेत जिले में चल रहे 45 से अधिक क्रेशर मशीन बगैर पानी के छिड़काव के चल रहे हैं और मानक के मुताबिक पेड़ पौधे भी नहीं लगाए गए हैं। लोगों की ओर से लगातार मिल रही शिकायतों के बाद भी राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से कोई कार्रवाई की जा रही है। यही स्थिति प्रोसेस हाउसों की है। जहां दिन भर केमिकल व सल्फर डाइज, समेत अन्य केमिकल काम में लिए जाने से क्षेत्र की आबोहवा तक बदल रही है। इस मार्ग से निकलने वाले हर व्यक्ति को अपने नाक पर रूमाल रखकर निकलना पड़ता है। वायु प्रदूषण की जांच के लिए हर बार जयपुर या कोटा से मशीन मंगवानी पड़ती है, लेकिन अब विभाग को मशीने मिलने से इनकी जांच आसानी से हो सकेगी।
राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अनुसार कई बार क्रेशर उद्योगों व खदानों की जांच की गई थी। जहां पर क्रेशर संचालकों के द्वारा वायु प्रदूषण नियंत्रण की व्यवस्था संतोष जनक नहीं पाई गई थी। लापरवाही पाई जाने के चलते क्रेशर संचालकों को सभी व्यवस्था के लिए कुछ समय दिया गया था। उन्होंने बताया कि इसके बाद भी यदि जांच में लापरवाही पाई जाती है तो उन्हें नोटिस दिया जाएगा। बाद में बिजली आपूर्ति बाधित कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि पिछले साल भी बगैर मापदंड के चल रहे क्रेशर उद्योगों को नोटिस जारी किए थे।
बढ़ सकती है सिलिकोसिस की बीमारी
वायु प्रदूषण की रोकथाम नहीं होने के चलते इसका सबसे अधिक खामियाजा मजदूरों को भुगतना पड़ेगा। जिले के कुछ खदानों में इन नियमों की अनदेखी के चलते कई मजदूरों को सिलिकोसिस जैसी खतरनाक बीमारी का भी खतरा उत्पन्न होने की संभावना जताई जा रही है। प्रोसेस हाउसों की ओर से भी काम में लिए जा रहे केमिकल के कारण क्षेत्र का वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है।
होगी यही पर जांच
रेस्पिरेबल डस्ट सैम्पलर मशीन वायु स्थितियों में टोटल सस्पेंडेड पार्टिकल्स (टीएसपी) की निगरानी के लिए है। यह उच्च मात्रा के तहत वायु में मौजूद 10 माइक्रोन से बड़े कणों को अलग करता है। इन मोटे कणों को 0.5 माइक्रोन आकार के फिल्टर पर हवा को छानने से पहले अलग किया जाता है और सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (एसपीएम) के टीएसपी और श्वसन योग्य अंश की माप करता है। सैम्पलर 1.4 क्यूबिक मीटर प्रति मिनट की मामूली प्रवाह दर पर हाई फ्लो रेट ब्लोअर की मदद से हवा खींचता है। इन मशीनों के माध्याम से हवा की जांच की जाएगी।
महावीर मेहता, क्षेत्रीय अधिकारी राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल

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