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भीलवाड़ा

प्रदेश में बने एथेनॉल उत्पादन प्रोत्साहन नीति, ताकि किसानों को मिले फायदा

भाजपा अध्यक्ष प्रशांत मेवाड़ा ने लिखा मुख्यमंत्री भजनलाल को खत

भीलवाड़ाAug 28, 2024 / 10:33 am

Suresh Jain

भाजपा अध्यक्ष प्रशांत मेवाड़ा ने लिखा मुख्यमंत्री भजनलाल को खत

भाजपा अध्यक्ष प्रशांत मेवाड़ा ने लिखा मुख्यमंत्री भजनलाल को खत

Bhilwara news: भीलवाड़ा-शाहपुरा जिले में मक्का का सर्वाधिक उत्पादन होता है। इसका उपयोग स्थानीय स्तर पर ही हो, इसके लिए मक्का की प्रोसेसिंग यूनिट या एथेनॉल प्लांट लगने चाहिए ताकि किसानों को उपज का अच्छा दाम मिल सके। युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। भाजपा जिलाध्यक्ष प्रशांत मेवाड़ ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को इसे लेकर पत्र लिखा है। मेवाड़ा का मानना है कि केन्द्र सरकार की योजना के तहत प्रदेश में भी एथेनॉल उत्पादन प्रोत्साहन नीति बनाई जानी चाहिए।
मेवाड़ा ने बताया कि राज्य में रोजगार का सबसे बड़ा माध्यम खेती है। कई फसलों का उत्पादन होता है। लेकिन उसका स्थानीय या उसी जिले में खपत नहीं होती है। उस जिले की फसल अन्य राज्यों में जा रही है। भीलवाड़ा के मक्का का अन्य राज्यों व खाड़ी देशों में उपयोग हो रहा है। मक्का का उपयोग स्थानीय हो, इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इथेनॉल उत्पादन प्रोत्साहन नीति जारी की है। उस आधार पर राज्य सरकार ने 21 दिसंबर 2021 को राजस्थान एथेनॉल उत्पादन प्रोत्साहन नीति-2021 जारी की। इसमें सरकार ने संशोधन किया था। इस योजना को प्रचार नहीं होने से किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।
इन सुविधा का किया उल्लेख

मेवाड़ा ने पत्र में लिखा कि एथेनॉल प्लांट के लिए उद्यमी को 10 हैक्टेयर जमीन की आवश्यकता होती है।प्लांट में मक्का साफ करने के लिए प्रतिदिन 5 लाख लीटर पानी चाहिए। पानी भीलवाड़ा एसटीपी से मिल सकता है। प्लांट के लिए 100 करोड़ चाहिए,जो उद्यमी लगाने को तैयार हैं। अन्य राज्यों की तरह प्रदेश की भाजपा सरकार भी मदद को तैयार है। जो उद्यमी एथेनॉल प्लांट लगाना चाहे तो उनको वे मंत्री से मिला सकते हैं। हमारी सरकार किसान हित के साथ उद्यमियों को भी प्रोत्साहन देगी। कुछ उद्यमियों का सुझाव था कि प्रदेश में सिंगल विंडो स्कीम लाए।सरकार इस पर काम कर रही है।
यह करना होगा प्रयास

मंडी व्यापारी दीपक डागा का कहना है कि सरकार का योगदान हो तो फूड प्रोसेसिंग इकाई लगने से लोगों को रोजगार मिलेगा। महंगाई और बेरोजगारी का कारण स्थानीय उपज या स्थानीय स्तर पर प्रसंस्करण न होना भी है। जो चीज जहां पैदा होती है या जहां निकलती है उसका यदि कई किलोमीटर दूर प्रसंस्करण है तो निश्चित रूप से परिवहन का खर्चा लागत में जुड़कर वस्तु को महंगा कर देता है। स्थानीय रोजगार के अवसर कम हो जाते हैं।

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