रामनगर निवासी सुरेन्द्र शाह (60) को अचानक सांस फूलने पर परिजन सुबह ऑटो में बिठाकर महात्मा गांधी चिकित्सालय लाए। यहां आउटडोर के बाहर ऑटो खड़ा हो गया। ऑटो काफी समय तक खड़े रहने के बावजूद कोई कर्मचारी मरीज को लेने नहीं आया। परिजन अस्पताल में स्ट्रेचर की तलाश में चक्कर लगाते रहे। जब उन्हें स्ट्रेचर मिली तो वह मरीज को उस पर लिटा कर आउटडोर के मेडिकल विभाग में ले गए। वहां कक्ष में कोई चिकित्सक नहीं था। कुछ समय बाद चिकित्सक लौटे और उसकी जांच कर उसे मृत घोषित कर दिया।
परिजन बोले-लाए तब सांस चल रही थी सुरेंद्र के परिजनों का कहना था कि अस्पताल लाने तक उसकी सांस चल रही थी और वह हांफ रहे थे। स्ट्रेचर लेने गए तब तक 20 मिनट बीत चुके था और समय पर इलाज नहीं मिलने के चलते उन्होंने दम तोड़ दिया।न परिजनों को स्ट्रेचर मिल रहा था और न ही कर्मचारी। काफी तलाश के बाद परिजन स्ट्रेचर ढूंढ लेे आए और मरीज को अंदर लाए तो वहां डॉक्टर नहीं मिला। डॉक्टर आए व जांच कर वृद्ध को मृत घोषित कर दिया।
नहीं मिलते हैं कर्मचारी
जिला अस्पताल में नियमानुसार स्टे्रचर लाकर मरीज को अंदर ले जाने की जिम्मेदारी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की है। लेकिन अधिकांशत: ये कर्मचारी नदारद रहते हैं। स्ट्रेचर भी समय पर नहीं मिलता।
कर्मी नदारद तो करेंगे जांच और कार्रवाई
अस्पताल के आउटडोर में मरीज को लाने-ले जाने के लिए स्ट्रेचर व कर्मचारी की व्यवस्था रहती है। अगर कर्मचारी नदारद था तो मामले की जांच कर उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. एस.पी. आगीवाल, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, एमजीएच