डिप्लोमा इंजीनियर एसोसिएशन भिलाई इस्पात संयंत्र के पदाधिकारियों ने डेब महासचिव व अन्य कार्मिकों के खिलाफ की गई कार्रवाई को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए प्रबंधन से इसे वापस लेने की मांग की है। संस्था का कहना है कि अपने साथी 150 से ज्यादा कर्मचारियों को एक-एक कर मरता देख बीएसपी के कर्मी आक्रोशित हैं। ऊपर से मृत कर्मचारी के आश्रित को न नौकरी, न रेफरल सुविधा न ही बच्चों को मेडिकल सुविधा। अब ऐसे ने कर्मचारी उद्वेलित न हो तो क्या करें। ऊपर से 23 अप्रैल को हुए वेतन समझौता संबंधी मीटिंग में भी कोई निष्कर्ष न निकलता देख कर्मचारियों के धीरज का बांध टूट गया और वे शांति पूर्वक आंदोलन करने मजबूर हुए।
एसोसिएशन द्वारा 31 मार्च को ही रोस्टर लागू करने वैक्सीनशन, टेस्टिंग की गति बढ़ाने व हॉस्पिटल में आवश्यक सुविधा बढ़ाने, ग्रुप इंश्योरेंस संबंधी ज्ञापन दिया गया था पर आवश्यक कार्रवाई नहीं हुई। एसोसिएशन के पदाधिकारियों द्वारा भी समस्या का एक बेहतर हाल निकलने प्रदर्शन स्थल पर प्रयास किया गया पर बीएफ- 8 के जीएम द्वारा कर्मचारियों को फोकट का खा रहे हो जैसी बातें बोली गई। इससे एसोसिएशन के हाथ से भी मामला निकल गया।
प्रबंधन द्वारा पीबीएस-2 के चार कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है पर जिसे गवाह बनाया गया है उसका साफ कहना है कि उसने किसी भी कर्मचारी को टरबाइन बंद करते नहीं देखा। वह खुद हतप्रभ्र है कि उसके नाम पर यह सब कैसे किया गया है। प्लांट में कार्यरत कर्मचारियों और जानकारों का कहना है कि ऑक्सीजन प्लांट को सप्लाई एमएसडीएस 6 से की जाती है जो कि ग्रिड से जुड़ा व एनएसपीएल से जुड़ा है ना कि एसटीजी से।
23 अप्रैल- रात को कर्मचारियों ने टूल डाउन की शुरुआत की।
24 अप्रैल – लगभग समस्त प्लांट के कर्मचारी इसमें शामिल।
शाम को आंदोलन वापस लेने ईडी (पीएंडए) ने मोर्चा संभाला। डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन ने भी हल निकालने के लिए मेहनत की । बात करीब करीब बन भी गई थी, पर जीएम बीएफ- 8 द्वारा कर्मचारियों को फोकट का खाने की आदत है जैसे बातें कही, जिससे आंदोलन और भड़क उठा।
25 अप्रेल – कर्मचारियों द्वारा डायरेक्टर इंचार्ज के आने के बाद मांग पत्र टूल डाउन के संबंध में बनाया गया पर कोई उच्च अधिकारी मांग पत्र लेने उपस्थित नहीं हुआ।
संयंत्र में वेतन समझौते और कोरोना महामारी में दिवंगत हुए कर्मचारियों की अनुकंपा नियुक्ति के लिए आंदोलनरत कर्मचारियों पर निलंबन, कारण बताओ नोटिस और एफ आईआर की कार्रवाई के विरोध में सोमवार को भिलाई स्टील मजदूर सभा एटक के कार्यालय में सभी यूनियनों (एटक, एचएमएस, सीटू, ऐक्टू, इस्पात श्रमिक मंच, स्टील वर्कर्स यूनियन, लोईमो) के प्रतिनिधियों की एक बैठक हुई। सभी शामिल यूनियनों ने एक स्वर में प्रबंधन की इस कार्रवाई की आलोचना की है। संयुक्त यूनियन के प्रतिनिधियों ने एक राय में प्रबंधन को पत्र लिख त्वरित प्रभाव से निलंबन और अन्य कार्रवाई को निरस्त करने की मांग की है।
सीटू यूनियन ने बीएसपी प्रबंधन द्वारा कर्मचारियों पर की गई कार्रवाई का विरोध किया है। प्रबंधन को पत्र लिखकर कर्मियों का निलंबन आदेश और कारण बताओ नोटिस वापस लेने की मांग की है। सीटू ने कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए उप मुख्य श्रमाायुक्त केेंद्रीय रायपुर के समक्ष परिवाद भी दायर कर दिया है ।
सीटू का कहना है कि चार कर्मियों सुनील कुमार, बृजेश कुमार ,उमेश कुमार दास और निशांत सूर्यवंशी पर पीबीएस-2 के टर्बो ब्लोअर क्रमांक 4 की स्वीच बंद करने का आरोप सरासर झूठा है। प्रबंधन ने बिना किसी आधार के कर्मियों के विरुद्ध एफ आई आर दर्ज कराई है। सीटू ने थाना प्रभारी को पत्र लिखकर किसी भी तरह की कार्रवाई से पूर्व जांच की मांग की है।
23 मार्च को गृह मंत्रालय द्वारा संयंत्र में 1 अप्रैल से रोस्टर प्रणाली लागू करने का आदेश जारी हुआ था, लेकिन प्रबंधन ने उसकी अनदेखी कर सभी कर्मियों के साथ पूरे उत्पादन प्रकिया को जारी रखा। जिससे कई विभागों के कई ब्रिगेड के पूरे कर्मी संक्रमित होते चले गए। उनके परिवार के सदस्य भी संक्रमित हुए जिससे भिलाई का नाम कोरोना संक्रमण में अग्रिम पंक्ति पर चला गया, फिर भी प्रबंधन नहीं चेता और नतीजा कर्मियों और अधिकारियों की मृत्यु तक जा पहुंचा। सभी यूनियनों ने प्रबंधन से रोस्टर प्रणाली लागू करने की मांग की, लेकिन प्रबंधन का अडिय़ल रवैया कर्मियों के टूल डाउन के रूप में दिखा और उन्होंने कोरोना से कर्मियों की मृत्यु पर अनुकंपा नियुक्ति की मांग की।
राजहरा माइंस सीटू ने भी कार्यपालक निर्देशक (कार्मिक एवं प्रशासन) को पत्र लिखकर कार्मियों पर की गई कार्रवाई को वापस लेने की मांग की है। साथ ही प्रबंधन को चेतावनी दी है कि इस तरह की अनुशासनात्मक कार्रवाई को वापस लिया जाए अन्यथा अब खदान मजदूर भी आंदोलन करने को बाध्य होंगे।