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आरोपियों ने नकाब लगाकर 8 जून 2024 को दिलीप टिंबर के मालिक दिलीप मिश्रा और उसकी पत्नी का हाथ पैर रस्सी बांधकर उसे बंधक बना लिया था। घर से 30 लाख की ज्वेलरी लोकर फरार हो गए थे।
पुलिस को सीसीटीवी कैमरे के फुटेज और ऑडियो हाथ लगी। उससे पता चला कि नाकाबपोश मध्यप्रदेश धार के भील गिरोह के हो सकते हैं। डीएसपी हेमप्रकाश के साथ एएसआई गुप्तेश्वर यादव और प्रधान आरक्षक प्रदीप सिंह को 6 सितबर को रवाना किया गया। जहां 22 दिनों तक कैंप लगाकर आरोपी नरवाली निवासी भंगू डावर को गिरतार किया।
पूछताछ में भंगू ने अपने साथी मुय सरगना काला भाया, दिलीप, गणपत, अनिल राठौर, अनिल बघेल के साथ मिलकर रसमड़ा में
डकैती और एनएसपीसीएल रुआंबांधा, रायपुर क्षेत्र के खहारडीह में चोरी करना स्वीकार किया। भंगू के बताए अनुसार आरोपी भूर सिंह उर्फ भूरिया को सामान बेचा है। आरोपी भंगू की निशानदेही पर भूर सिंह को भी गिरतार कर लिया।
डीएसपी ने बताया कि डकैती के सोने चांदी का सौदागर पीपलदल्या धार निवासी भूरसिंह चौहान से पूछताछ की गई। उसने चोरी की ज्वेलरी खरीदना स्वीकार किया। प्रति 12 ग्राम को 52 हजार में खरीदा था। 5 हजार रुपए कमीशन लेकर बाकी अपने आका इंदौर निवासी जैन को दे दिया है। जैन फरार है। आरोपियों से सोने चांगी के जेवर और नकद 3 लाख 20 हजार रुपए बरामद किया है।
डीएसपी ने बताया कि टांडा गांव जंगल से लगा है। शाम को ग्रामीण पोशाक में एएसआई गुप्तेश्वर यादव और प्रधान आरक्षक प्रदीप सिंह निकलते थे। सिर और कमर में गमछा लगाए रहते थे, ताकि किसी को शक न हो की पुलिस है। तालाश करते हुए 22 दिन बीत गए। इस बीच मुखबिर ने शाम को बताया कि भंगू आ रहा है। वहीं सामने वाला है। टीम ने जैसे भंगू को दबोचा। वहां पर हल्ला हो गया। पुलिस आ गई। महिलाओं ने घेर लिया। हुज्जत करने लगी। तब तक उसके साथ जो लोग थे जंगल की ओर भाग गए।
पुलिस दो महीने से लगी है। अंतर्राज्यीय गिरोह को पकड़ना मुश्किल होता है, लेकिन दो आरोपियों को पकडऩे में सफल हुए है। मुय आरोपी काला भाया भी रडार में है। उसे भी जल्द गिरतार कर लिया जाएगा।
गमछा में पत्थर बांधे रहते हैं आरोपी
एसपी डीएसपी जितेन्द्र शुक्ला ने बताया कि आरोपी गमछा में पत्थर रखकर उसे कमर में बांध लेते है। काला भाया गुलेल चलाने में एक्सपर्ट है। कुत्ता भोकते हहैं काला भाया उन पर गुलेल चलाकर उन्हें भगा देता है।