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दुर्ग के 60 वार्डों का गुरुवार को देर शाम कलेक्टोरेट के सभा कक्ष में आरक्षण किया गया। इसमें जो स्थिति सामने आई, उसने पार्षदी के सपने संजोए बैठे कई नेताओं का दिल तोड़ दिया। महापौर धीरज बाकलीवाल वार्ड क्रमंक 22 से सामान्य श्रेणी से पार्षद का चुनाव जीते थे और बाद में पार्षदों द्वारा निर्वाचन में महापौर बने। इस बार उनका वार्ड ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित हो गया है। ऐसे में वे यहां से चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। इसी तरह एमआईसी में राजस्व प्रभारी ऋषभ जैन वार्ड 36 से सामान्य श्रेणी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीते थे। इस बार उनका वार्ड अन्य पिछड़ा वर्ग की महिला के लिए आरक्षित हो गया है।
इसलिए अब उन्हें दूसरा वार्ड तलाशना पड़ेगा। स्वाथ्य प्रभारी हमीद खोखर वार्ड 41 केलाबाड़ी से पिछले चुनाव में सामान्य श्रेणी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीते थे। इस बार उनका वार्ड ओबीसी महिला के लिए आरक्षित हो गया है। इसी तरह एमआईसी मेंबर मंदीप भाटिया वार्ड 7 से पार्षद निर्वाचित होकर शिक्षा विभाग का प्रभार देख रहे हैं। यह सीट भी अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हो गया है। वार्ड 14 से एसटी वर्ग के लिए आरक्षित सीट पर पिछली बार चुनाव जीतकर शंकर सिंह ठाकुर सामाजिक कल्याण समिति के प्रभारी के रूप में एमआईसी में जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। यह सीट अब उन्हीं के वर्ग की महिला के लिए आरक्षित हो गया है। वार्ड 54 के अनुसूचित जाति वर्ग के पार्षद अनूप चंदानिया भी आरक्षण के चपेट में आ गए हैं। वे एमआईसी में सांस्कृतिक एवं पर्यटन विभाग के प्रभारी है और अब यह सीट उन्हीं के वर्ग की महिला के लिए आरिक्षत हो गया है।
महापौर धीरज के लिए अभी भी विकल्प
पार्षदों के आरक्षण में
महापौर धीरज बाकलीवाल भले ही वंचित हो गए हैं, लेकिन अभी भी उनके लिए महापौर के आरक्षण का विकल्प बचा है। पिछली बार पार्षदों के माध्यम से महापौर का निर्वाचन कराया गया था, यानि पार्षद जीतकर आने वालों में से एक का चुनाव महापौर के रूप में किया गया। इस पर सरकार ने इसमें बदलाव करते हुए प्रत्यक्ष प्रणाली से सीधे मतदाताओं के माध्यम से चुनाव का विकल्प कर दिया है। सीधे महापौर का चुनाव लड़ना चाहते हैं तो अभी भी उनके पास एक मौका है।
दिग्गजों के सपनों पर फिर पानी
इनके अलावा शहर के कई ऐसे दिग्गज भी है, जो पिछले चुनाव में आरक्षण के कारण नहीं लड़ पाए थे अथवा पराजित हो गए थे और इस बार उम्मीद लगाए बैठे थे। आरक्षण के कारण उनके भी सपनों पर पानी फिर गया है। पूर्व सभापति दिनेश देवांगन भी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। पिछली बार महिला आरक्षण के कारण उन्हें अपनी पत्नी को मैदान में उतारना पड़ा था। उनका वार्ड फिर महिला आरक्षित हो गया है। पूर्व सभापति राजकुमार नारायणी का वार्ड भी महिला आरक्षित हो गया है।
पक्ष-विपक्ष के दिग्गज भी आरक्षण में फंसे
महापौर और एमआईसी मेंबर के अलावा पक्ष विपक्ष के कई दिग्गज पार्षद हैं जो आरक्षण के पेंच में फंस गए हैं। कांग्रेस के दिग्गज पार्षद मदन जैन का वार्ड 31 सामान्य महिला के लिए आरक्षित हो गया है। इसी तरह भाजपा की नीता जैन का वार्ड 38 ओबीसी के लिए आरक्षित हो गया है। उपनेता प्रतिपक्ष देवनारायण चंद्राकर का वार्ड 19 ओबीसी महिला के लिए आरक्षित हो गया है। वे अपनी पूर्व पार्षद प%ी को चुनाव में उतार सकते हैं। इसी तरह वार्ड 59 के पार्षद शिवेंद्र परिहार, वार्ड 21 के पार्षद अरुण सिंह भी आरक्षण की चपेट में आ गए हैं। दोनों का वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित हो गया है।
7 वार्ड महिलाओं के लिए
सबसे पहले बालोद नगर पालिका के 20 वार्डों के लिए आरक्षण तय किया। यहां 7 वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। आरक्षण के बाद अब दावेदारी का दौर शुरू हो गया है। राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता अभी से दावेदारी करने गुणा भाग कर रहे हैं। नगरीय निकाय चुनाव के लिए तैयारी शुरू हो गई है। गुरुवार को जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय में जिला निर्वाचन अधिकारी इंद्रजीत चन्द्रवाल व जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में जिले की दो नगर पालिका, 8 नगर पंचायत के कुल 137 वार्डों के लिए आरक्षण तय किया गया।
बालोद नगर पालिका के 20 वार्ड एवं दल्लीराजहरा के 27, नगर पंचयात चिखलाकसा के 15, गुंडदेही 15, गुरुर 15, डौंडी 15, अर्जुंदा के 15 और डौंडीलोहारा में भी 15 वार्ड के लिए आरक्षण किया गया। 137 वार्डों में 46 वार्डों की जिम्मेदारी महिलाओ के हाथों में रहेगी। इन वार्डों को महिलाओ के लिए आरक्षित किया गया है।