scriptनक्सलियों के गढ़ में प्रदेश का पहला थाना, जहां 24 घंटे बेखौफ मोर्चा संभालती हैं महिला आरक्षक | Konta police station Sukma District | Patrika News
भिलाई

नक्सलियों के गढ़ में प्रदेश का पहला थाना, जहां 24 घंटे बेखौफ मोर्चा संभालती हैं महिला आरक्षक

माओवादियों के गढ़ में पुलिस की महिला बल अब अपने जाबाज इरादों और फौलादी सोच से नई पहचान बनाने लगी है।

भिलाईJan 01, 2018 / 10:01 am

Dakshi Sahu

patrika
दाक्षी साहू@भिलाई. माओवादियों के गढ़ में पुलिस की महिला बल अब अपने जाबाज इरादों और फौलादी सोच से नई पहचान बनाने लगी है। इसका ताजा उदाहरण सुकमा जिले के कोंटा थाने में मोर्चा संभाले महिला सिपाहियों के रूप में 24 घंटे देखा जा सकता है। यह प्रदेश का पहला ऐसा थाना है, जिसकी सुरक्षा महिला सिपाहियों के हाथों में सौंपी गई है।
जहां हाथ में बंदूक थामें, दुश्मन की हर चाल पर नजर गढ़ाए, महिला सिपाही एक सेकंड के लिए भी अपनी पलकें नहीं झपकाती। ठंड, बरसात और गर्मी की मार झेलते हुए सुरक्षा में डटी रहती हैं। खूनी संघर्ष के बीच बहादुर बेटियां, लाल सलाम को अंगूठा दिखाते हुए खुद के वजूद को साकार कर रही हैं। साथ ही प्रदेश में महिला सशक्तिकरण का अनूठा पैगाम दे रही हैं।
patrika
80 साल में पहली बार इतिहास बदला महिला सिपाहियों ने

छत्तीसगढ़ के सबसे आखिरी छोर में बने कोंटा थाने को बस्तर के सबसे पुराने थानों में से एक गिना जाता है। आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, ओडिसा और छत्तीसगढ़ की सीमाओं को छूने वाले इस क्षेत्र में माओवादी बेहद सक्रिय हैं। जिसके चलते माओवादी यहीं से बड़े हमले की साजिश रचकर उन्हें ऑपरेट करते हैं। हर दिन यहां पुलिस-माओवादी मुठभेड़ लगा रहता है। ऐसे में थाने के लगभग 80 साल के इतिहास में पहली बार हो रहा है, जब थाने की सुरक्षा की अहम जिम्मेदारी महिला आरक्षकों को सौंपी गई है।
patrika
प्रदेश का सबसे संवेदनशील थाना

घोर माओवाद प्रभावित सुकमा जिला के कोंटा थाने को प्रदेश का सबसे संवेदनशील थाना माना जाता है। सुरक्षा के लिहाज से एक ओर यहां सीआरपीएफ के जवान तो दूसरी ओर जिला पुलिस की महिला बल थाने में मोर्चा संभालती हैं। 2-2 घंटे की शिफ्ट में बारी-बारी से दिन-रात थाने के पोस्ट पर आंख गढ़ाए बखूबी जिम्मेदारी निभा रही हैं। एडीओपी चंद्रेश सिंह ठाकुर ने बताया कि पिछले छह महीने से महिला सहायक आरक्षकों की ड्यूटी मोर्चे पर लगाई जा रही है। जिसमें वे खरी उतरी हैं।
हर तरह की मुसीबत से लडऩे तैयार

कोंटा थाने के मोर्चा में तैनात सहायक आरक्षक गीता (परिवर्तित नाम) ने बताया कि देश सेवा के जज्बे से उन्होंने तीन साल पहले पुलिस फोर्स ज्वाइन किया था। हाथ में बंदूक थामकर माओवादी क्षेत्र में हर तरह की जिम्मेदारी निभाने के लिए वे तैयार रहती हैं। वे कहती हैं कि बेटियां किसी से कम नहीं है। मौका मिले तो हर तरह की परिस्थिति में खुद को साबित कर सकती हैं।

Hindi News / Bhilai / नक्सलियों के गढ़ में प्रदेश का पहला थाना, जहां 24 घंटे बेखौफ मोर्चा संभालती हैं महिला आरक्षक

ट्रेंडिंग वीडियो