दुर्ग-भिलाई के लिए पहली बार संयुक्त मास्टर प्लान बनाया गया है। प्लान में अब तक 6 बार सुधार किया जा चुका है। लगातार खामियां उजागर हो रही है। ताजा मामले में नियम के विपरीत जलाशय व जल स्रोतों के जमीन का उपयोग बदलकर आवासीय बना दिए जाने का खुलासा हुआ है।
पाटन के ग्राम सांकरा के खसरा नंबर 1709 पर 7.32 एकड़ में जलाशय है। इसका उपयोग बदलकर आवासीय कर दिया गया है। इसी तरह खसरा नंबर 16 25 के 3.70 एकड़ के तालाब को भी आवासीय बना दिया गया है।
जल क्षेत्रों का उपयोग बदलने के एक अथवा दो नहीं बल्कि एकमुश्त कई मामले हैं। इसके चलते जिले में 213.17 एकड़ जल क्षेत्र घट जाएगा। संशोधन से पहले प्लान में 5923.91 हेक्टेयर जल क्षेत्र थे। इसे नए प्लान में घटाकर 5710.20 हेक्टेयर कर दिया गया है।
जल क्षेत्र के अलावा चारागाह की जमीन को भी नियम के विपरीत बदलकर औद्योगिक कर दिया गया है। इसके चलते पाटन के सांकरा का 170 एकड़ चारागाह सिमटकर 45 एकड़ का रह गया है। शेष 125 एकड़ को औद्योगिक और आवासीय बना दिया गया है।
ग्रामीण क्षेत्र में सड़क, चराई और मवेशी मुरदा की जमीन का उपयोग भी बदल दिए जाने की शिकायत है। सांकरा में चराई जमीन खसरा नंबर 1056 के 34.59 हेक्टेयर और 741 के 42.18 हेक्टेयर को औद्योगिक बना दिया गया है।
जल क्षेत्र और ग्रामीण उपयोग की जमीन को नियम विरूद्ध आवासीय और औद्योगिक घोषित किए जाने का खुलासा पूर्व जिला पंचायत सदस्य निशांत शर्मा ने किया है। उन्होंने इस पर आपत्ति दर्ज कराते हुए इसे सुधार करने की मांग की है।
इस बीच मास्टर प्लान पर दावा-आपत्तियों की संख्या 8 ५0 से पार पहुंच गई है। अकेले मंगलवार को ही 150 से ज्यादा आपत्तिया दर्ज कराई गई। इससे पहले सोमवार तक 757 आपत्तियां दर्ज कराई जा चुकी थी। बुधवार को भी प्लान पर दावा-आपत्ति की जा सकेगी।
पूर्व जिला पंचायत सदस्य निशांत शर्मा ने बताया कि मास्टर प्लान पर राजस्व अधिनियमों का खुलकर उल्लंघन किया गया है। ग्रामीण व्यवस्था और पंचायती राज अधिनियम को भी ध्यान में नहीं रखा गया। प्लान लागू हुआ तो ग्रामीण व्यवस्था गड़बड़ा जाएगी।
उप संचालक टाउन प्लानिंग दुर्ग वीक बगवैया ने बताया कि मास्टर प्लान सर्वे के आधार तैयार किया गया है। इसमें अभी भी सुधार की गुंजाइश है। इसीलिए दावा-आपत्ति मंगाई गई है। दावा-आपत्तियों के आधार पर प्लान में संशोधन किया जाएगा।