अभिषेक की हत्या करने के आरोप में जेल में निरुद्ध विकास जैन, किम्सी व अजीत सिंह को न्यायालय गुनाहगार ठहराती या नहीं इसका पूरे शहर को इंतजार था। बहुचर्चित प्रकरण में प्रकरण में अंतिम तर्क और आरोपियों को न्यायालय सुन चुकी थी। दोनों ही पक्षों की दलील सुनने के बाद न्यायाधीश को अब इस बहुचर्चित प्रकरण पर फैसला सुरक्षित रखा था। आरोपियों ने मर्डर केस का खुलासा करते हुए पुलिस को बताया कि था अभिषेक शादी के बाद भी किम्सी से संबंध रखना चाहता था जिसके बाद उन्होंने हत्या की साजिश रची।
7 नवंबर 2015 को शंकरा गु्रप के डायरेक्टर अभिषेक मिश्रा की हत्या करने षड्यंत्र
रचा।
9 नवंबर 2015 को अभिषेक मिश्रा को स्मृतिनगर बुलाकर हत्या की गई।
10 नवंबर 2015 को दुर्ग के जेवरा चौकी में गुमशुदगी दर्ज।
22 दिसंबर 2015 को पुलिस ने संदेह के आधार पर आरोपी विकास जैन व अजीत सिंह को हिरासत में लिया। पूछताछ में अपराध कबूला।
23 दिसंबर 2015 को पुलिस ने स्मृति नगर से शव बरामद किया।
23 दिसंबर 2015 को पुलिस ने आरोपियों को न्यायालय में पेश कर पुलिस रिमांड लिया
24 दिसंबर 2015 को पुलिस ने किम्सी जैन को दिल्ली से दुर्ग लाई और न्यायालय में प्रस्तुत कर न्यायिक रिमांड लिया।
26 दिसंबर 2015 को विकास जैन व किम्सी जैन के चाचा अजीत सिंह को न्यायालय में प्रस्तुत कर न्यायिक रिमांड लिया गया।
शंकरा गु्रप ऑफ कॉलेज के वाइस पे्रसीडेंट अभिषेक मिश्रा की हत्या विकास जैन व उनके चाचा ससुर ने मिलकर वर्ष 2015 में दीपावली के पूर्व कर दी थी। इस मामले में किम्सी जैन को जेल में बंद है। हत्या के बाद शव को स्मृति नगर स्थित एक मकान के किचन गार्डन में गड़ा दिया था। लगभग एक माह बाद मामले का खुलासा हुआ। तब पुलिस ने शव बरामद किया।
पुलिस ने किचन गार्डन से जो शव बरामद किया था वह बुरी तरह खराब हो गया था। शव के चारों ओर नमक डालने से शव का काफी हिस्सा सड़ गया था। शव से मृतक की पहचान सुनिश्चित नहीं हो पा रही थी। सुनवाई के दौरान गवाहों द्वारा शव के पहचान के लायक नहीं होने का खुलासे करने के बाद विशेष लोक अभियोजक सुरेश शर्मा ने शव के विसरा का डीएन टेस्ट करवाने का निर्णय लिया था।