पहले तक इंजीनियरिंग कॉलेजों के एडमिशन में गणित और फिजिक्स के साथ बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य था, जिसमें संशोधन करते हुए गणित विषय की अनिवार्यता को हटाने के साथ बायोलॉजी विषय के विद्यार्थियों को तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिए पात्र कर दिया गया है। यह नियम इसी साल से लागू हो जाएगा। पीईटी के आवेदन शुरू हो गए हैं। ऐसे में बायोलॉजी के विद्यार्थियों को इस साल आवेदन करने और काउंसलिंग में शामिल होने का मौका दिया जाएगा।
DTE काउंसलिंग प्रभारी संजय सिंघाई ने कहा कि नियम एआईसीटीई से तय होते हैं। इंजीनियरिंग के लिए गणित बैकग्राउंड का होना अब अनिवार्य नहीं है। ऐसे में काउंसलिंग में बायोलॉजी के विद्यार्थियों को इंजीनियरिंग चुनने का मौका मिलेगा।
इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए काउंसलिंग के समय पहले दस्तावेज सत्यापन केंद्र यानी डीवीसी में जाकर सभी डॉक्यूमेंट्स दिखाने होते थे। वहां बारीकी से जांच के बाद विद्यार्थी अलॉट किए गए कॉलेज में प्रवेश लेने पहुंचता था। नए नियम से काउंसलिंग में दस्तावेज सत्यापन केंद्र होंगे ही नहीं। दस्तावेज सत्यापन पहले कॉलेज स्तर पर होगा। इसके बाद तकनीकी विवि नामांकन जारी करने के समय फिर से दस्तावेजों की जांच करेगा। पहले डीवीसी में कई फर्जी प्रकरण सामने आते थे, जिनको केंद्र अध्यक्ष सीधे डीटीई को सौंप देता था, जिससे आवेदन निरस्त हो जाता था। इसका फायदा यह होगा कि विद्यार्थियों का समय बचेगा और काउंसलिंग प्रक्रिया को जल्द पूरा कर सकेंगे।
तकनीकी शिक्षा संचालनालय 10 अगस्त के बाद से इंजीनियरिंग व फार्मेसी की काउंसलिंग शुरू करेगा। इसमें बायोलॉजी विद्यार्थियों को भी इंजीनियरिंग कॉलेज चुनने का मौका मिलेगा। डीटीई ने काउंसलिंग सॉफ्टवेयर में भी इसकी व्यवस्था कर दी जाएगी। सॉफ्टवेयर से पीसीएम को अनिवार्य बताने वाला सिस्टम हटाया गया है। इंजीनियरिंग कॉलेज संचालकों को उम्मीद है कि अबके साल बायोलॉजी छात्रों के जरिए इंजीनियरिंग में एडमिशन ग्राफ में बढ़ोतरी होगी।