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भिलाई

पत्रिका इंटरव्यू : ईवीएम मशीन को तैयार करने वाली टीम के सदस्य प्रोफेसर डॉ. रजत मूना ने कहा- हैकिंग व छेड़छाड़ नामुकिन

Bhilai News: छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम मशीन में कैद हो गई है।

भिलाईNov 23, 2023 / 03:58 pm

Khyati Parihar

Bhilai News: Conversation with Professor Dr. Rajat Moona

प्रोफेसर डॉ. रजत मूना

भिलाई पत्रिका @मोहम्मद जावेद। Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम मशीन में कैद हो गई है। चुनाव के बाद ईवीएम को तीन लेयर सुरक्षा में स्ट्रांग रूम में रखा गया है। मगर कुछ राजनीतिक दलों को प्रशासन पर भरोसा नहीं है। यही वजह है कि प्रत्याशियों के समर्थकों ने स्ट्रांग रूम के बाहर डेरा डाल लिया है। टीवी स्क्रीन पर ईवीएम की निगेहबानी कर रहे हैं। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए पत्रिका ने ईवीएम मशीन को तैयार करने वाली टीम के सदस्य प्रोफेसर डॉ. रजत मूना से विशेष बातचीत की।
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डॉ. मूना सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ कंप्यूटिंग (सीडेक) के महानिदेशक रह चुके हैं। वे आईआईटी भिलाई के डायरेक्टर रहे। वर्तमान में वे आईआईटी गांधीनगर के डायरेक्टर का पद संभाल रहे हैं। उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश…
सवाल : राजनीतिक पार्टियां चुनाव के बाद ईवीएम को लेकर हर बार सुरक्षा से जुड़े सवाल उठाती है, क्या इसमें छेड़छाड़ संभव है?
जवाब : बिल्कुल भी नहीं। न तो इसमें इंटरनेट है और न ही इसे किसी भी तरह से मॉडीफाई किया जा सकता है। ईवीएम से वोट की शुरुआत के बाद से अब तक करीबन 400 करोड़ वोट दिए जा चुके हैं, लेकिन आज तक इसकी सुरक्षा में सेंध को लेकर हर दावे खारिज हुए हैं। खुद सुप्रीम कोर्ट ने इसे सर्टिफाई किया है। वैसे भी अगर, ईवीएम में छेड़छाड़ का कोई भी विकल्प होता तो अब तक कर चुका होता। ईवीएम को लेकर ओपन चैलेंज दिया गया था, लेकिन इसमें कोई बदलाव नहीं कर पाया।

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सवाल : क्या ईवीएम को हैक किया जा सकता है?
जवाब : नहीं। इसे बिल्कुल भी हैक नहीं किया जा सकता। यहां तक कि इसको तैयार करते वक्त ऐसा सिस्टम तय किया गया है, जिससे इसके सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर में भी बदलाव संभव नहीं है। ईवीएम में वायरलेस के लिए डेटा के लिए कोई फ्रीक्वेँसी रिसीवर डिकोडर या किसी अन्य गैर-ईवीएम एक्सेसरी या डिवाइस के कनेक्शन के लिए कोई बाहरी हार्डवेयर पोर्ट नहीं है। इसलिए हार्डवेयर पोर्ट या वायरलेस, वाई-फाई या ब्लूटूथ डिवाइस के माध्यम से कोई छेड़छाड़ संभव नहीं है।
सवाल : क्या निर्माताओं द्वारा ईवीएम में हेरफेर किया जा सकता है?
जवाब : संभव ही नहीं है। ईवीएम सॉफ्टवेयर की सुरक्षा को लेकर निर्माता स्तर पर बहुत कड़े सुरक्षा प्रोटोकॉल होते हैं। ईवीएम को राज्य में और राज्य के भीतर जिले से मतदान केंद्रों में भेजा जाता है। इसे तैयार करने वाले भी यह जानने की स्थिति में नहीं होते हैं कि कौन सा उम्मीदवार किस विशेष निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ेगा और मशीन में उम्मीदवारों का क्रम क्या होगा। ऐसे ही हर ईवीएम का एक सीरियल नंबर होता है और चुनाव आयोग ईवीएम-ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर के उपयोग से अपने डेटाबेस से पता लगा सकता है कि कौन सी मशीन कहां है।

सवाल : चुनाव के बाद पार्टियां ईवीएम के लिए पहरा देती हैं, क्या भौतिक रूप से इसमें छेड़छाड़ की जा सकती है?
जवाब : ईवीएम में टैम्पर डिटेक्शन और सेल्फ डायग्नोस्टिक्स जैसी सुविधाएं हैं । जैसे ही कोई मशीन खोलने की कोशिश करता है, छेड़छाड़ का पता लगाने वाला फीचर ईवीएम को निष्क्रिय कर देता है। सेल्फ डायग्नोस्टिक फीचर हर बार चालू होने पर ईवीएम की पूरी जांच करता है। इसके हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर में किसी भी बदलाव का पता चल जाएगा।
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सवाल : ईवीएम मशीन का निर्माण कहां होता है, कौन करता है?
जवाब : ईवीएम पूरी तरह से स्वदेशी है। इसे सार्वजनिक उपक्रमों में तैयार किया जाता है। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बेंगलुरु और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद। सॉफ्टवेयर प्रोग्राम कोड इन दोनों कंपनियों द्वारा इन-हाउस में लिखा जाता है, आउटसोर्स नहीं किया जाता है।

सवाल : स्ट्रांग रूम में हेराफेरी की कोई संभावनाएं है क्या?
जवाब : जिला मुख्यालयों पर ईवीएम को उचित सुरक्षा के तहत डबल-लॉक सिस्टम में रखा जाता है। उनकी सुरक्षा की समय-समय पर जांच की जाती है । अधिकारी स्ट्रांग रूम नहीं खोलते, बल्कि यह जांचते हैं कि यह पूरी तरह से सुरक्षित है या नहीं और ताला सही स्थिति में है या नहीं। कोई भी अनाधिकृत व्यक्ति किसी भी समय ईवीएम तक पहुंच नहीं सकता है। गैर चुनाव अवधि के दौरान, सभी ईवीएम का वार्षिक भौतिक सत्यापन डीईओ द्वारा किया जाता है और रिपोर्ट ईसीआई को भेजी जाती है। निरीक्षण एवं जांच हाल ही में पूरी हुई है।

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