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भरतपुर

रूठे मानसून ने निकाली किसानों की कराह

– खरीफ का रकबा घटना तय- 15 जुलाई तक है बुवाई का समय

भरतपुरJul 10, 2021 / 01:52 pm

Meghshyam Parashar

रूठे मानसून ने निकाली किसानों की कराह

रूठे मानसून ने निकाली किसानों की कराह

भरतपुर . रूठे मानसून ने किसानों की कराह निकाल दी है। बिन पानी अन्नदाता के अरमान पानी-पानी होकर रह गए हैं। खरीफ की फसल की अब तक बुवाई नहीं हो सकी है, जबकि इसकी बुवाई का समय 15 जुलाई तक है। ऐसे में खरीफ की फसल का रकबा घटना तय माना जा रहा है। कई फसलों की बुवाई तो आधी ही रह सकती है। खास बात यह है कि खरीफ की बुवाई का असर आगामी रबी की फसल पर भी पड़ेगा। इसके चलते किसानों में मायूसी नजर आ रही है।
अमूमन देरी की बोई जाने वाली फसलों का उत्पादन बेहतर नहीं मिल पाता है। जिले में करीब-करीब पहली जुलाई से मानसून की बारिश शुरू हो जाती हैं, जबकि इससे पहले होने वाली प्री मानूसन की बारिश में बुवाई का काम हो जाता था, लेकिन इस बार प्री मानसून बारिश का अभाव रहने के कारण किसानों खेतों की जुताई भी नहीं कर सके हैं। मानसून के लगातार लेट होने से किसानों में मायूसी छा रही है। हालांकि कुछ स्थानों पर जहां नहर या बोरिंग का पानी है। वहां चारे की बुवाई की गई है, लेकिन वह भी बिन बारिश के पानी के मुरझाने लगी हैं। अब विभाग का मानना है कि किसान ज्वार-बाजरे की फसल पर दांव नहीं खेलेगा। किसान चारे के रूप मेें ही ज्वार की बुवाई करेगा, जबकि बाजरे की बुवाई नहीं होने से इसका रकबा घटेगा। खरीफ की फसल की बुवाई की बात करें तो जिले में करीब साढ़े हजार हैक्टेयर में कपास की बुवाई हुई है। वह भी ऐसे स्थानों पर है, जहां नहर के पानी की व्यवस्था है।
अब नहीं ले सकेंगे दोहरी फसल

मानसून की देरी के चलते अब किसान दोहरी फसल का लाभ नहीं ले सकेंगे। यदि तय समय पर बारिश आती तो किसान ज्वार-बाजरा के साथ आगामी रबी के लिए किसान को खेत तैयार करने का समय मिल जाता, लेकिन अब इसकी संभावना कम नजर आ रही है। ऐसे में किसान अब ज्यादातर खेत खाली रखकर सरसों और चना की फसल की बुवाई को प्राथमिकता देगा, जबकि तय समय पर मानसून आने से किसान को दोनों फसलों का लाभ मिल सकता था।
घटेगा बाजरे का रकबा, सरसों का बढ़ेगा

कृषि विभाग का मानना है कि मानसून की देरी निश्चित रूप से जिले में बाजरे की फसल का रकबा घटाएगी। ऐसे में इस बार सरसों की फसल जिले में ज्यादा होगी। बाजरा नहीं होने की स्थिति में किसान सरसों के लिए खेतों को खाली छोड़कर सरसों और चना की फसल केा प्राथमिकता देंगे। हालांकि यह भी भले ही देरी से आए, लेकिन मानसून पर ज्यादा निर्भर करेगा।
जिले में रकबा और पडऩे वाला असर

– 1 लाख 30 हजार हैक्टेयर में बाजरा बोने का लक्ष्य है, जो अब सिमटकर करीब 1 लाख पर आ सकता है।

– 55 हजार हैक्टेयर में ज्वार की बुवाई का लक्ष्य है, लेकिन यह फसल के रूप में नहीं होकर चारे तक ही सिमट जाएगी।
– 12 हजार हैक्टेयर में ग्वार का रकबा तय था, जो सिमटकर करीब आधे पर 6 हजार हैक्टेयर तक आ सकता है।

– 8 हजार हैक्टेयर तिल का लक्ष्य निर्धारित था, जो सिमटकर आधे पर करीब 4 हजार हैक्टेयर आ सकता है।
– 12 से 15 हजार में सब्जी सहित अन्य फसल की बुवाई का लक्ष्य था। यह भी सिमटना तय माना जा रहा है।

इनका कहना है

मानसून की देरी का असर खरीफ की फसल पर पड़ेगा। ऐसे में बाजरे का रकबा घटना तय माना जा रहा है। जिले में 15 जुलाई तक खरीफ की फसल बुवाई का समय माना जाता है, लेकिन इस बार यह काफी लेट है। ऐसे में खरीफ की फसलों का रकबा घटेगा। इसके चलते जिले में इस बार रबी की सरसों और चना की फसल का रकबा बढ़ सकता है।
– डॉ. धर्मपाल सिंह, उपनिदेशक कृषि भरतपुर

यह बोले किसान

आषाढ़ का आधा महीना बीतने के बाद भी बारिश का नाम नहीं है। खरीफ की फसल के लिए खेत तैयार हैं, लेकिन बिना पानी के सब बेकार है। इससे किसान आहत हैं।
– कप्तान सिंह, किसान माड़ापुरा

एक सप्ताह पूर्व दाहिना एवं महलपुर चूरा क्षेत्र में बारिश होने के बाद लोगों ने बुवाई कर दी, लेकिन इसके बाद बारिश नहीं होने और तेज गर्मी होने से बीज खराब होने का खतरा बना हुआ है।
– राकेश गुर्जर, किसान दाहिना गांव।

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