निखर रहा स्वरूप
कभी यह मोक्ष धाम असामाजिक तत्वों का जमावड़ा बना रहता था, लेकिन अब इसकी आभा लोगों को खींचती नजर आती है। मोक्षधाम के निखरे हुए स्वरूप की बात करें तो यहां के विकास कार्यों ने इस स्थान को एक नए रूप में प्रस्तुत किया है। पहले जो श्मशान भय और उदासी का प्रतीक था, अब वह हरा-भरा और आकर्षक बन गया है। यहां रंगाई-पुताई और अन्य विकास कार्यों पर पैसा खर्च किया जा रहा है। यहां लगे पेड़-पौधे और हरियाली आने वाले व्यक्ति को आकर्षित करती है।50 हजार प्रतिमाह खर्च
यूं तो अन्य श्मशान में खर्च न के बराबर होता है। वजह, चिता जलाने के लिए लोग लकड़ी का खर्च स्वयं ही उठाते हैं, लेकिन इस श्मशान स्थल पर संस्था की ओर से दो कार्मिक नियुक्त कर रखे हैं। इनमें चौकीदार एवं दूसरा मंदिर पर सेवा-पूजा का काम करता है। इनकी वेतन समेत अन्य विकास कार्यों पर यहां हर माह करीब 50 हजार रुपए खर्च होते हैं। खास बात यह है कि शहर के इस इकलौते मोक्ष धाम में विद्युत शव दाह गृह की सुविधा भी उपलब्ध है।श्यामसुंदर शर्मा, मैनेजर, कुहेर गेट मोक्षधाम