सूत्रों की मानें तो भाजपा में कुछ पदाधिकारी इन दिनों अंदर-अंदर खूब सक्रिय हैं, जो विभिन्न कारोबारों से जुड़े हुए हैं। कुछ पदाधिकारी अधिकारियों पर सीएम का खास होने की धौंस जमा रहे हैं। यह धौंस अपना खुद का काम निकलवाने के लिए की जा रही है। ऐसे कुछ लोग सीएम की निगाह में आ भी गए हैं। समय आने पर ऐसे लोग जल्द ही किनारे हो सकते हैं। हालांकि सीएम अभी केन्द्र की सत्ता का रुख देख रहे हैं। इसके बाद यहां फोकस हो सकता है।
लोकसभा का चुनाव परिणाम जिले की राजनीति की नई दिशा और दशा तय करेगा। मुख्यमंत्री के गृह जिले की सीट कांग्रेस के खाते में चली गई है। यदि यह भाजपा के पक्ष में जाती तो सब कुछ अच्छा होने की आस थी, लेकिन यहां से कांग्रेस की सीट निकल गई है। ऐसे में भाजपा में संगठन से लेकर पदाधिकारियों का पत्ता साफ होना तय माना जा रहा है। वजह, यह सीट सीएम की प्रतिष्ठा से सीधी जुड़ी थी और उन्होंने इस सीट पर चुनावों के समय खूब फोकस भी किया था। सीट की हार-जीत का गणित लेकर जिलाप्रमुख और यूआईटी अध्यक्ष बनने की दौड़ में शामिल ‘नेता’ सीएम के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंच रहे हैं।