कभी चंबल इंटैक वैल पर पंप खराब हो जाने, तो कभी ट्रांसमिशन लाइन में लीकेज हो जाने के कारण हर महीने 3-4 दिन जलापूर्ति बाधित हो जाती है। वहीं महीने में कई बार कई इलाकों में राइजिंग पाइप लाइन आदि लीकेज हो जाने की वजह से भी उपभोक्ताओं की जलापूर्ति बाधित रहती है। इसके चलते लाखों लोगों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ता है।
कहां चूक रहा जलदाय विभाग?
चंबल नदी से पानी भरतपुर और डीग जिलों तक लाने के लिए एक विशाल इंटेक वेल, 6 पंप, और ट्रांसमिशन लाइन बिछाई गई। भरतपुर में 220 एमएलडी का रॉ रिजर्व वायर टैंक और 110 एमएलडी का वाटर फिल्टर प्लांट भी स्थापित किया गया। इसके बावजूद हर महीने जलापूर्ति बाधित होना विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है।पुराने पंप, धीमी रफ्तार से डिस्चार्ज
चंबल परियोजना के शुरूआती दिनों में लगाए गए पंप अब पुराने हो चुके हैं। पानी डिस्चार्ज करने की क्षमता घट गई है। चार पंपों के जरिए रोजाना 110 एमएलडी पानी भरतपुर भेजा जाना था, लेकिन अब मुश्किल से 70-75 एमएलडी पानी ही भेजा जा रहा है।राजस्थान के 21 और MP के इन 13 जिलों तक पहुंचेगा पानी, 1200 किमी नहर का बिछेगा जाल
345 गांवों को एक दशक से इंतजार
योजना के तहत भरतपुर और डीग तहसीलों के 945 गांवों और शहरी इलाकों को पानी की आपूर्ति की जानी थी। इसके लिए रोजाना 112 एमएलडी पानी की जरुरत होती है, लेकिन अब तक शहरों के अलावा सिर्फ 600 गांवों को ही इस योजना का लाभ मिल पाया है। बाकी 345 गांवों के लोग अब भी चंबल के पानी का इंतजार कर रहे हैं।पंजाब से भी हक का पानी लेने की तैयारी, राजस्थान के 21 जिलों के बाद इन और जिलों को होगा फायदा
चंबल से भरतपुर तक एक और नई ट्रांसमिशन लाइन बिछाने की प्लानिंग
चंबल इंटैक वैल पर 25 दिसंबर तक नए पंप स्थापित करवा दिए जाएंगे, यानी दिसंबर के अंत तक पेयजल आपूर्ति सुचारू कर दी जाएगी। फिर पानी की कोई कमी नहीं रहेगी। रही बात रिजर्व वाटर की तो यह पानी आपातकाल के लिए रखा जाता है। वैसे जल्द ही चंबल से भरतपुर तक एक और नई ट्रांसमिशन लाइन बिछाने की प्लानिंग चल रही है, ताकि एक लाइन में कोई लीकेज हो तो दूसरी से जलापूर्ति संभव हो सके।–हरिकिशन अग्रवाल, एसई, चंबल-धौलपुर-भरतपुर पेयजल परियोजना, भरतपुर