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हमारे सिर पर छत नहीं, पक्के मकान वालों को फिर मकान
यात्री प्रतीक्षालय से थोड़े आगे ही गोविंद जावलकर नाम के व्यक्ति मिल गए। उनसे पूछा कि और क्या चल रहा है, तो वह बोले, क्या चलेगा भैया? हमारे सिर पर तो छत ही नहीं है। उनको धन्यवाद देकर मैंने मोटर साइकिल आगे बढ़ाई। मैंने तय किया कि अब 1330 मेगावाट बिजली के उत्पादन की क्षमता वाली देशभर में नाम करने वाले सारनी ताप बिजलीघर और इसके स्थानीय फायदे के मुद्दे पर मतदाताओं से बात करूंगा। इसी उद्देश्य के साथ एक मोटरसाइकिल सवार संजय कहार को रोका। सारनी कितना अच्छा योगदान क्षेत्र में कर रही है? उन्होंने कहा, सारनी जाकर देखो। सारनी में कई यूनिट ही बंद हैं। पूरा सारनी वीरान जैसा हो गया है। यहां से लोग पलायन कर रहे हैं। सारनी का मुद्दा ही आगे छुरी गांव में भी अरुण सिनोटिया की दुकान पर छेड़ा। दुकान पर मौजूद सत्येंद्र झल्लारे कहने लगे, सारनी है। इसके बावजूद हाल यह है कि बिजली कब आती है और कब चली जाती है, पता ही नहीं चलता। यहीं पर खेती किसानी की बात खोली, तो गांव के किसान दुलीचंद बोले, बड़ी पीड़ा होती है जब सरकार किसी किसान के साथ मां और किसी किसान के साथ मौसी जैसा व्यवहार करती है। डिफाल्टरों का कर्जा माफ होता है, लेकिन हम पर ध्यान नहीं दिया जाता।
कमाएंगे क्या और खाएंगे क्या?
इस दौरान बारिश होने लगी। मैं बारिश में ही कुही होते हुए आमला-सारनी विधानसभा के गांव जांगड़ा पहुंचा। यहां दीपक हथिया की किराना दुकान पर उनके पिता लखन से घर परिवार में गुजारा कैसे चल रहा है, पर बात की, तो उनकी पत्नी गीता बोल पड़ीं। सारी चीज महंगी हो गई है। गैस के दाम तो आसमान पर पहुंच गए, कमाएंगे क्या और खाएंगे क्या? और बच्चों को कैसे पढ़ाएंगे? यहां से आगे के गांव सीताकामथ पहुंचा। यहां जिले में ही स्थित प्रदेश के प्रसिद्ध छोटा महादेव भोपाली मंदिर के दर्शन के लिए जा रहे धन्नू उइके रोड पर खड़े मिले। बात छेड़ी, तो गांव की समस्या बताने लगे। बोले यह देखो, सड़क बनी हुई है, लेकिन पूरा पानी भरा रहता है। गांव में पीने के पानी की भी समस्या है। उनसे बात करके मोटर साइकिल पर ही घोड़ाडोंगरी पहुंचा। रेलवे गेट बंद था तो मैं रुक गया। पास में अनिल उइके अपने घर के पास गड्ढा खोद रहे थे। उनसे पूछा-क्षेत्र में क्या समस्या है? तो बोले-यही समस्या है। गेट बंद है। दिनभर में 50 बार बंद होता है। हर बार वाहनों की कतार लग जाती है। उन्हें भी परेशानी होती है और हमें भी। यहां अंडरब्रिज या ओवरब्रिज बने तो राहत मिले।