आवारा व पालतु मवेशी संक्रमण की चपेट में, गौशालाओं में नहीं मिले केस
सबसे अच्छी बात यह है कि अभी तक क्षेत्र में एक भी गौशाला में लम्पी वासरस से संक्रमित गौवंश नहीं मिला है। गौशाला में केस मिलने पर एक साथ गौवंश रहने से संक्रमण फैलने की संभावना अधिक है। नोडल प्रभारी डॉ. गौतम के मुताबिक अभी तक संक्रमण आवारा मवेशी और पालतु मवेश्ाियों में पाया गया है। इनमें भी आवारा मवेशी अधिक है।
तेज गति से आवारा मवेशियों में संक्रमण फैलने से अब शाहपुरा क्षेत्र में बीमार मवेशियों के उपचार के लिए आईसोलेशन वार्ड बनाना आवश्यक हो गया है। क्योंकि आवारा मवेशियों का उपचार करने में चिकित्सा टीम को परेशाानी आ रही है। संक्रमित मवेशी को कुछ दिन उपचार की जरूरत होती है और आवारा मवेशी का एक दिन ट्रीटमेंट करने के बाद वह इधर-उधर हो जाता है उसे ढूंढने में ही पसीने छूट रहे हैं। इसके अलावा मिलने पर भी पकडऩे में समस्या आ रही है। आईसोलेश वार्ड बनाने के बाद उपचार में सुविधा होगी और संक्रमण अधिक नहीं फैलेगा।
-रोगी पशु को अन्य पशुओं से अलग रखकर चारा पानी दें।
-रोगी पशु को आईसोलेट करें।
– मवेशी के घावों पर 2 प्रतिशत सोडियम हाइड्रोक्साइट, 4 प्रतिशत सोडियम बाईकार्बोनेट 2 प्रतिशत फार्मेलिन से ऐन्टीसेप्टिक का प्रयोग करें।
-पशु आवास में नीम के पत्तों को जलाकर धुआं करें, ताकि मक्खी- मच्छर नहीं आएं।
-रोगग्रस्त क्षेत्र में पशु की आवाजाही रोकें
-पशु आवास को कीटाणु रहित करने के लिए सोडियम हाइपोक्लोराइड के 2 से 3 प्रतिशत घोल से छिडकाव करें।
-मृत पशु गांव से दूर गहरा गडढा खोदकर नमक डालकर दबाएं।
-मृत पशु के संपर्क में आई वस्तुओं एवं स्थान को फिलाइल पोटेशियम परमेग्नेट से कीटाणु रहित करें।
-जहां भी किसी पशु में इस तरह के संक्रमण के लक्षण दिखें, तत्काल निकटतम पशु चिकित्सा संस्था से संपर्क करें।