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बस्सी

केदारनाथ आपदा को 9 साल बीते, आज भी दर्द दे रहा अपना को खोने का गम

उत्तराखंड त्रासदी के मंजर को याद कर आंखों से छलक पड़ते हैं आंसू
 

बस्सीJun 17, 2022 / 05:27 pm

Satya

केदारनाथ आपदा को 9 साल बीते, आज भी दर्द दे रहा अपना को खोने का गम

केदारनाथ आपदा को 9 साल बीते, आज भी दर्द दे रहा अपना को खोने का गम


Kedarnath disaster ninth anniversary, more than four thousands people lost their lifeउत्तराखंड त्रासदी में जयपुर जिले के 225 केदारनाथ यात्री हुए थे गुम

-पीडि़त परिवारों को 9 साल बाद भी अनुकम्पा नियुक्ति आ उत्तराखंड सरकार के पैकेज का इंतजार

शाहपुरा। उत्तराखण्ड में ग्लेशियर टूटने से मची तबाही को आज 9 साल बीत गए, लेकिन अपनों को खोने वाले बहुत से परिवार मौत के उस मंजर को आज भी भूल नहीं पा रहे हैं। केदारनाथ दर्शन को गए देश-विदेश के श्रद्धालुओं ने उस आपदा का मंजर देखा था। सैंकड़ों श्रद्धालु उस प्राकृतिक आपदा में समाकर काल कवलित हो गए, जिनका आज तक पता नहीं चला। अपनों को ढूंढने गए परिजन रौंगटें खड़े करने वाले आपदा के उस मंजर को याद कर आज भी सिहर उठते हैं। उस त्रासदी ने कई परिवारों को तबाह कर दिया, जो आज भी अपनों को याद कर सिसक उठते हैं।
उल्लेखनीय है कि 2013 में 16-17 जून को ग्लेशियर टूटने से मंदाकिनी नदी ने भारी तबाही मचाई थी। सैंकड़ों तीर्थयात्री पानी में रेत की तरह से बह गए थे। धर्मशालाओं, होटलों और मंदिरों में ठहरे लोगों का भी आज तक कोई पता नहीं चला। यहां तक सैंकड़ों वाहनों का भी अता पता नहीं चला।

जयपुर जिले के सबसे अधिक लोग हुए लापता


उस त्रासदी में राजस्थान के करीब 499 लोग लापता हुए थे। जिनमें जयपुर जिले के सबसे अधिक 225 यात्री गुम हुए हैं। किसी परिवार के माता-पिता तो किसी परिवार का जवान बेटा। यहां से गए परिजनों ने करीब एक माह तक लापता हुए अपनों को खूब ढूंढा लेकिन दूर-दूर तक तबाही के निशान के सिवा कुछ नहीं मिला। ऐसे में थकहार कर वापस लौट गए। जयपुर की बस्सी तहसील के 61 केदारनाथ यात्री आज तक वापस नहीं लौटे। विराटनगर के खातोलाई गांव में भी 4 दम्पति सहित 16 लोग उस त्रासदी का शिकार हुए। जिनका आज तक पता नहीं चला। उनके परिजन आज भी मौत के उस मंजर को भूल नहीं पा रहे हैं।

हर आहट पर लगता है बेटा लौट आया हो


काछवालों की ढाणी खातोलाई निवासी 77 वर्षीय प्रभाती देवी की बूढी आंखें आज भी दरवाजे की ओर टकटकी लगाए रहती है। उसे हर आहट पर लगता है कि उसका केदारनाथ में लापता हुआ बेटा प्रहलाद शर्मा वापस लौट आया। प्रहलाद(37) घर में एकमात्र कमाने वाला था। अब उसकी पत् नी संजू देवी पर वृद्ध सास प्रभाती देवी, दो बेटियों आशा व कृष्णा और बेटे राहुल की जिम्मेदारी है। परिजन उस मंजर को आज भी भूल नहीं पा रहे हैं। विराटनगर के खातोलाई गांव में करीब एक दर्जन परिवारों को इसी तरह का दर्द है। त्रासदी में किसी ने माता-पिता खो दिए तो किसी ने पति, भाई और बेटा।

चार बहन-भाइयों ने माता-पिता को खोया, त्रासदी के नाम से ही छलक पड़े आंसू


सेवदा वाली ढाणी निवासी दम्पति घीसी देवी व बनवारी लाल शर्मा भी त्रासदी में लापता हो गए। उनके तीन बेटे और एक बेटी है, जिनके सिर से माता-पिता दोनों का साया उठ गया। बेटा संदीप और सत्यनारायण से जब उस त्रासदी के बारे में बात की तो उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। उनका कहना है कि त्रासदी के उस मंजर को कभी नहीं भूल सकते। बेटा सत्यनारायण गांव के ६ लोगों के साथ माता-पिता को ढूंढने भी गया और एक माह तक ख्ूाब ढूंढा, लेकिन नहीं मिले। थकहार कर एक माह बाद खाली हाथ वापस लौट आए। जाटा वाली ढाणी निवासी मूली देवी भी उस त्रासदी का शिकार हो गई। अब उनके पति रामेश्वर प्रसाद पलसानिया ही बेटा हितेश और बेटी मंजू के लिए माता-पिता दोनों की भूमिका निभाकर पालन पोषण कर रहे है। मां को खोने वाले दोनों बच्चों से उस त्रासदी के बारे में पूछा तो उनकी आंखों से आंसू बह निकले। ऐसे और भी बहुत से परिवार है, जिनके कई अपने वापस नहीं लौटे।
खूब तलाशा, नहीं मिले माता-पिता


मूंडिया चाकसू निवासी दयाराम जाट के माता-पिता भी 2013 में केदारनाथ की यात्रा पर गए थे, जो उस त्रासदी का शिकार हो गए। दयाराम ने बताया कि वहां बादल फटने से हुई त्रासदी में माता-पिता दोनों लापता हो गए। घटना बाद वहां जाकर 10 दिन तक उनको खूब तलाश किया लेकिन उनका पता नहीं चला। उस समय सरकार ने आश्रितों को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक नहीं मिली।
आश्रितों को भी अनुकम्पा नियुक्ति का इंतजार


खातोलाई विराटनगर निवासी पीडि़त परिवारों के आश्रित संदीप शर्मा, महेन्द्र शर्मा, सूरजमल जाट, सीताराम जाट, जुगलकिशोर शर्मा ने बताया कि केन्द्र व राज्य सरकार से सहायता राशि तो मिल चुकी, लेकिन उत्तराखंड सरकार से 1.5 लाख का पैकेज और राजस्थान सरकार से अनुकम्पा नौकरी का अभी तक इंतजार है।
पीडि़तों के मुताबिक त्रासदी के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पीडि़त परिवारों को संबल देने के लिए सहायता राशि व एक आश्रित को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की थी। लेकिन उसके बाद दिसम्बर 2013 में नई सरकार बनने के बाद अनुकम्पा नियुक्ति के प्रावधान को समाप्त कर दिया गया। तब से आश्रित परिवार अनुकम्पा नियुक्ति का इंतजार कर रहे थे।
अब 8 माह पहले गहलोत सरकार ने पुन: इन परिवारों को राहत प्रदान करते हुए अनुकम्पा नियुक्ति देने का फैसला किया है। इसके बाद जनवरी 2022 में पीडि़त परिवारों के आश्रितों का प्रशासन की ओर से वैरिफिकेशन भी किया जा चुका है, लेकिन अभी उनको निुयक्ति का इंतजार है।

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