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शिक्षा संकूल परिषद ने जारी किए निर्देश- सूर्य नमस्कार का अभ्यास प्रार्थना सभा के दौरान करवा जाए। सूर्या अभयास करवाते समय सह शैक्षिक विद्यालयों में बालक-बालिकाओं के लिए पृथक-पृथक व्यवस्था की जाए। शारीरिक शिक्षकों को प्रशिक्षित प्रशिक्षक प्रशिक्षण देंगे। 15 फरवरी को एक साथ सूर्य नमस्कार होगा जिसमें छात्र, स्टाफ, अभिभावक, एसएमसी सदस्य, अतिथि व ग्रामीण भाग लेंगे। सूर्य नमस्कार की बाहर मुद्राएं करवाई जाएगी। वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए संभागियों का डाटा संकलन शाला दर्पण पोर्टल के माध्यम से उसी दोपहर दो बजे तक अपडेट किया जाएगा।
सूर्य नमस्कार के लाभ- सूर्य नमस्कार पूर्ण साधना व आध्यात्मिक अभ्यास है जिसमें आसन, प्राणायाम, ध्यान व मंत्र की तकनीकें शामिल हैं। यह शरीर की अंत स्त्रावी, प्रजनन, परिसंधरण, श्वसन व पाचन तंत्र को सक्रिय करता है।
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सूर्य नमस्कार को लेकर सावधानियां- हर्निया, रीढ़ की हड्डी में चोट, पेप्टिक अल्सर, मासिक धर्म की शुरुआत के दौरान सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए। सूर्य नमस्कार की अवधि व चक्र का निर्धारण व्यक्ति की सुविधा के अनुसार किया जाना चाहिए।
सभी संस्था प्रधानों को निर्देश- सूर्य नमस्कार कार्यक्रम वृहद स्तर पर होगा। इसको लेकर प्रशिक्षित प्रशिक्षक शारीरिक शिक्षकों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। पूर्वाभ्यास करवाया जा रहा है। 15 फरवरी को बड़ा आयोजन होगा।- जेतमलासिंह राठौड़, एडीईओ माध्यमिक बाड़मेर