जिले में सबसे बड़ा पॉपलीन का व्यापार है। करीब 800 कारखाने बालोतरा, बिठूजा और जसोल में लगे हुए है। बालोतरा का सूरत, भीलवाड़ा, अहमदाबाद, इचकलकरणजी और अन्यत्र सीधा व्यापार है। यहां से साल भर में दस हजार करोड़ का व्यापार होता है। यह व्यापार इन दिनों पचास प्रतिशत कम हो गया है। आठ सौ करोड़ की जगह इस माह चार सौ करोड़ का ही कार्य हुआ है। यह भी स्टॉक माल निकल रहा है। व्यापारियों ने अब काम भी सीमित कर लिया है ताकि ज्यादा स्टॉक करने पर परेशानी नहीं झेलनी पड़े।
मजदूरों पर आ रहा है संकट- बालोतरा के उद्योग में करीब एक लाख मजदूर प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए है। काम कम होते ही इन मजदूरों की मजदूरी पर भी संकट आ गया है। मजदूरों में कटौती करने के साथ ही पॉपलीन के सहायक कार्य भी कम होने से मजदूरों को अब पलायन करना पड़ रहा है।
अभी उबरा ही नहीं कि फिर चोट- पिछले साल प्रदूषण को लेकर एनजीटी( नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने बालोतरा के कारखानों को बंद करवा दिया था। करीब छह महीने तक बालोतरा का कारोबार प्रभावित रहा। इस स्थिति से उद्यमी अभी उबरे ही नहीं थे कि अब नोटबंदी के चलते व्यापार इतना मंदा हो गया है कि व्यापारियों की चिंता बढ़ गई है। मजदूरों के सामने दूसरी बार रोजी रोटी का संकट आ गया है।