मलाराम 5वीं तक पढ़ा हुआ है। पहले वह घर का पूरा काम करता था। वर्षों पूर्व वह मजदूरी के लिए मुम्बई गया था। जहां कुछ लोगों से उसका झगड़ा हो गया और मारपीट में उसके सिर पर चोट लगी। इसके बाद उसका मानसिक संतुलन गड़बड़ाने लगा। इस कारण वह मुम्बई से वापस घर आ गया।
मुम्बई से घर आने के बाद मूलाराम की हालत देख उसके परिजन भोपों के पास ले गए। 15 साल में करीब 10 से ज्यादा भोपों से उसका झाड़-फूंक करवाया गया। समय पर उपचार नहीं मिलने के कारण उसका मानसिक संतुलन गड़बड़ाता गया और उसे पागल करार देकर जंजीरों में बांध दिया गया।
मलाराम अपने पिता के घर से बाहर एक लकड़ी की छोटी सी कुटिया में पिछले कई सालों से रह रहा था। खाना खाने के समय घर आता और उसके बाद दुबारा उसी कुटिया में चला जाता।
उसके पिता मूलाराम ने बताया कि अंधविश्वास के चलते भोपों के चक्कर में फंस गए और इतने साल घूमते रहे। भोपों ने हमें बर्बाद कर दिया। इस चक्कर में उसके बेटे की हालत और बिगड़ गई। हालत यह हो गई है कि उपचार के लिए रुपए भी नहीं है। अब विधिक समिति की मदद से जोधपुर के अस्पताल ले गए हैं। उम्मीद है, मेरा बेटा जल्द ठीक हो जाएगा।