ओरण-गोचर जमीन की लड़ाई लड़ी, बैकफुट पर आया प्रशासन
उन्होंने कहा कि बईया गांव में ओरण-गोचर जमीन की लड़ाई लड़ी, जहां प्रशासन बैकफुट पर आ गया। कंपनी को जमीन छोड़नी पड़ी। इसके बाद हड़वा प्रकरण में ग्रामीणों के साथ संघर्ष किया तो किसी कंपनी ने पहली बार गांव के विकास के लिए 3.50 करोड़ रुपए सीएसआर फंड से देने की घोषणा की। ऐसा बाड़मेर में पहली बार हुआ है, लेकिन कंपनियां तो सालों से काम कर रही है। किसानों के लिए जेल जाना पड़ा तो जाऊंगा
उन्होंने कहा कि ग्रामीणों के लिए रविंद्र की कहीं पर भी जरुरत पड़ेगी, वहां तैयार मिलूंगा। क्षेत्र में विकास के नाम पर विनाश नहीं होने दूंगा। कंपनियां चाहती है हमारी गोद में आकर बैठ जाएं। उन्होंने कहा कि मुकदमे से डरूंगा नहीं। किसानों के हक व अधिकार के लिए अगर जेल भी जाना पड़ा तो हंसते-हंसते जेल जाएंगे।