जमीन विवाद का मामला
आकाशपुरम के कारोबारी मोहम्मद इलयास ने 28 अप्रैल 2003 को राकेश और राजेश भसीन से अपनी पत्नी शाहीन सगीर के नाम पर नवादा शेखान में एक जमीन खरीदी थी। बीते 20 वर्षों से उस जमीन पर वह नर्सरी और बेंत का व्यापार कर रहे हैं। हालांकि, निलंबित लेखपाल सावन कुमार जायसवाल, मुरादाबाद निवासी अमित कुमार, पीलीभीत के चंदन खां, कटघर मुरादाबाद के अंकित त्रिपाठी समेत 25-30 लोगों ने जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की। जब इसमें सफलता नहीं मिली, तो इन लोगों ने नवाबगंज के वसीनगर में झोपड़ी में रहने वाली रेनू को मोहरा बनाया।
फर्जी बैनामे और कब्जा
24 और 25 अक्टूबर 2024 को रेनू के नाम से अमित कुमार, चंदन खां, अंकित त्रिपाठी और एक अन्य व्यक्ति के नाम पर पांच बैनामे कराए गए। बैनामों में जमीन को रेनू की पैतृक संपत्ति बताया गया। इसके बाद पुलिस की मदद से जमीन पर कब्जा करा दिया गया। मामला उजागर होने पर एसएसपी अनुराग आर्य ने बारादरी इंस्पेक्टर सुनील कुमार, सेटेलाइट चौकी इंचार्ज राजीव शर्मा और हेड कांस्टेबल अनिल कुमार को निलंबित कर दिया।
मुकदमे दर्ज, आरोपी जेल में
मोहम्मद इलयास की शिकायत पर निलंबित लेखपाल सावन कुमार जायसवाल, अमित कुमार, चंदन खां, अंकित त्रिपाठी, रेनू और 30 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। विवेचना के दौरान अमित राठौर, अंकिश त्रिपाठी और भरत दीक्षित के नाम भी सामने आए। इनमें से अमित राठौर को पुलिस ने पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
रेनू की झोपड़ी और फरारी
जमीन के फर्जी बैनामे कराने वाली रेनू के घर पर जब पुलिस पहुंची, तो वह फरार मिली। पुलिस को पता चला कि रेनू का परिवार पन्नी डालकर झोपड़ी में रहता है। यह साफ हो गया कि रेनू को लेखपाल गैंग ने मोहरे के रूप में इस्तेमाल किया।
दीपक और अन्य आरोपियों की भूमिका
नवादा शेखान निवासी नुसरत जहां ने लेखपाल गैंग के खिलाफ दूसरा मुकदमा दर्ज कराया। इसमें दीपक कुमार नामक व्यक्ति पर आरोप है कि उसने 46 लाख की जमीन महज पांच लाख रुपये में सुनील कुमार को बेच दी। दीपक खुद सुभाषनगर में एक कमरे के मकान में रहता है। पुलिस ने दीपक को हिरासत में लिया और बाद में जेल भेज दिया।