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बरेली

सरस्वती इलेक्ट्रिकल इन्टरप्राइजेज का बड़ा फर्जीवाड़ा, बीडीए और बिजली निगम के बीच ऐसे किया लाखों का घोटाला

बिजली विभाग में घोटाले दर घोटाले सामने आ रहे हैं। अब साहूकारा की सरस्वती इलेक्ट्रिकल इन्टरप्राइजेज ने बड़ा फर्जीवाड़ा किया। मध्यांचल विद्युत निगम से बगैर अनुमोदित कंपनी और वेंडर से सामान खरीदा।

बरेलीNov 13, 2024 / 08:23 pm

Avanish Pandey

बरेली। बिजली विभाग में घोटाले दर घोटाले सामने आ रहे हैं। अब साहूकारा की सरस्वती इलेक्ट्रिकल इन्टरप्राइजेज ने बड़ा फर्जीवाड़ा किया। मध्यांचल विद्युत निगम से बगैर अनुमोदित कंपनी और वेंडर से सामान खरीदा। क्षतिग्रस्त केबल डाल दी। इसमें लगातार फाल्ट हो रहे हैं। बीडीए और बिजली विभाग के बीच लाखों का घोटाला कर डाला। इस मामले में बिजली विभाग के इंजीनियर ने बीडीए उपाध्यक्ष को चिट्ठी लिखी है।

शहर के डिवीजन थर्ड में हुआ घोटाला, आंखें मूंदे रहे बिजली विभाग के अफसर

शहरी क्षेत्र के तृतीय डीवीजन में भूमिगत लाइन डालने में गोलमाल सामने आया है। पता लगा कि मानकों को ताक पर रखकर क्षतिग्रस्त केबल भूमिगत लाइन में डाल दी गई। बीडीए की तरफ से कराए जा रहे काम में घपला मिलने पर कार्यदाई संस्था का भुगतान रोककर मामले की जांच शुरु करा दी गई है। सुरेन्द्र गौतम, अधिशासी अभियंता तृतीय डिवीजन ने बताया कि भूमिगत केबल में गडबड़ी की आशंका है। सामाग्री भी उच्चस्तर की नहीं लगाई गई है। काम का पूरा निरीक्षण होने के बाद भी भुगतान कराया जाएगा। मामले की जांच कराई जा रही है।

धर्मकांटे से लेकर डेलापीर और मूर्ति नर्सिंग होम तक की गड़बड़ी

बीडीए की तरफ से झूलेलाल द्वार, केके अस्पताल, स्वयंवर बारातघर, रामजानकी मंदिर और धर्मकांटे चौराहे से मूर्ति नर्सिंग होम तक सडक चौड़ीकरण में बाधा बन रहे बिजली पोल और ट्रांसफार्मर को शिफ्ट करने का काम कराया गया। नियमानुसार लाइन को विभाग को हैंडओवर करना चाहिए था। बीडीए ने 15 प्रतिशत सुपरविजन पर काम मै. सरस्वती इलेक्ट्रिकल इन्टरप्राइजेज 630 साहूकारा से कराया। पता लगा कि लाइनों की शिफ्टिंग के काम में लगने वाली सामाग्री कार्यदायी संस्था ने खुद खरीदी थी। जबकि काम में लगने वाली सभी सामग्री मध्यांचल मुख्यालय द्वारा अनुमोदित कंपनी और वेंडर से खरीदी जाती है। ये भी पता लगा कि संस्था द्वारा डाली गई भूमिगत केबल में दो जगह पर शुरु से ही फाल्ट है। इसके अलावा एलटी, एबीसी केबल क्षतिग्रस्त अवस्था में ही लगा दी गई। जिसे ठीक कराने के लिए संस्था को लिखा गया है।

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