2016 में निवेश के नाम पर जमा कराए थे रुपये
प्रीती अग्रवाल के अनुसार, मई 2016 में राजेश मौर्य ने उनकी मां से निवेश के नाम पर अच्छे मुनाफे का झांसा देकर 2.66 करोड़ रुपये ले लिए। इसके अलावा प्रीती के भाई प्रिंस अग्रवाल से 1.22 करोड़ और खुद प्रीती से 20 लाख रुपये का निवेश कराया गया। 2018 में कंपनी पर मुकदमा दर्ज हुआ और श्री गंगा इंफ्रासिटी फरार हो गई।
हाईकोर्ट से कराई जमानत, फिर भी नहीं मिली रकम
प्रीती का कहना है कि उन्होंने रकम लौटाने का आग्रह किया तो आरोपियों ने कोर्ट से जमानत कराने का आश्वासन देकर उनसे करीब 20 लाख रुपये खर्च कराए। जमानत के बाद आरोपियों ने रकम वापस करने से मना कर दिया और धमकियां देने लगे, जिससे परेशान होकर प्रीती ने कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
2018 में एमडी राजेश मौर्य की गिरफ्तारी, जमीन और कमीशन का खेल
श्री गंगा इंफ्रासिटी का ग्रीन पार्क में ऑफिस था, जहां राजेश मौर्य और उसके सहयोगी लोगों को मुनाफे का झांसा देकर फंसा रहे थे। जुलाई 2018 में, निवेशकों के हंगामे के बाद मौर्य परिवार दो गाड़ियों में भाग निकला। पुलिस ने कुछ दिनों बाद राजेश मौर्य को गाजियाबाद से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
फ्रेंचाइजी का जाल और हजारों लोगों का नुकसान
बरेली समेत कई जिलों में राजेश मौर्य ने 160 से अधिक फ्रेंचाइजी खोल रखी थीं। उसने शुरुआती मुनाफा देकर भरोसा बनाया और फिर बड़ी रकम हड़प ली। इस गिरोह ने नकद और संपत्ति देने का झांसा देकर कई निवेशकों को फंसाया और अंत में हजारों लोगों को ठगकर फरार हो गया।
पीड़ित आज भी भटक रहे न्याय के लिए
राजेश मौर्य की गिरफ्तारी के बाद अफसरों ने पीड़ितों को रकम वापस दिलाने का वादा किया था। लेकिन कार्रवाई कागजों तक सीमित रही, और आज भी ठगी के शिकार लोग अपनी रकम वापस पाने के लिए भटक रहे हैं। कंपनी लोगों के करोड़ों रुपये हड़पकर फरार हो गई। आरोपी जेल से बाहर आ गए लेकिन लोगों के रुपये नहीं मिले। पुलिस प्रॉपर्टी अटैच कर नीलाम नहीं करवा सकी। लोगों के रुपये वापस नहीं हो पाये।