प्रकृति और अध्यात्म का संगम
रामायण वाटिका में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के वनगमन के मार्ग पर उल्लेखित वृक्षों और वनस्पतियों को भी लगाया जाएगा, ताकि आगंतुकों को रामायण के प्रसंगों का प्रत्यक्ष अनुभव हो सके। बीडीए अधिकारियों का कहना है कि इस वाटिका का उद्देश्य न केवल प्राचीन और दुर्लभ वनस्पतियों का संरक्षण करना है, बल्कि लोगों को भगवान श्रीराम के आदर्श जीवन और भारतीय संस्कृति के विभिन्न आयामों से भी जोड़ना है।
रामसुतार की शिल्पकला का अनूठा उदाहरण
रामसुतार, जिन्होंने 182 मीटर ऊंची स्टैच्यु ऑफ यूनिटी का निर्माण किया था, अब बरेली में श्रीराम की यह मूर्ति बना रहे हैं। इससे पहले उनके द्वारा मध्यप्रदेश के गंगासागर बांध में चंबल देवी की 45 फुट ऊंची प्रतिमा, अमृतसर में महाराजा रणजीत सिंह की 21 फुट, और संसद भवन में सरदार वल्लभभाई पटेल की 18 फुट ऊंची प्रतिमा बनाई गई हैं।
पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
बीडीए उपाध्यक्ष मडिकंडन ए. के अनुसार, इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य पर्यटन को प्रोत्साहन देना है और वर्तमान तथा भविष्य की पीढ़ी को श्रीराम के जीवन और भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं से परिचित कराना है। रामायण वाटिका में चित्रकूट, दण्डकारण्य, पंचवटी, माता शबरी आश्रम, किष्किन्धा, अशोक वाटिका, पंपा सरोवर जैसे स्थानों के प्रसंगों को मूर्तियों और दीवारों पर उकेरा जाएगा।
भगवान श्रीराम की वनवासी प्रतिमा
रामायण वाटिका का सबसे महत्वपूर्ण आकर्षण श्रीराम की 51 फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा होगी, जिसमें उन्हें वनवासी रूप में दर्शाया जाएगा। इस प्रतिमा के निर्माण का निर्णय बीडीए ने अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मूर्तिकार रामसुतार से करवाने का लिया है।