ज्ञापन में किसानों ने बताया कि खनन के दौरान पास में स्थित खेत से 20 फीट की दूरी पर खनन कार्य करने की ही अनुमति होती है, परंतु दूरी का ध्यान न रखते हुए लीजकर्ता धड़ल्ले से खनन के लिए ब्लास्टिंग कर रहे हैं। इसका नुकसान खेत मालिक को भुगतना पड़ रहा है।
ब्लास्टिंग से तकरीबन 3 क्विंटल के पत्थर उछलकर खेतों में आकर गिरते हैं। इससे फसल तो खराब हो ही गई है, साथ ही खेत पर कार्य कर रहे लोगों पर भी जान जाने का खतरा मंडराता रहता है। ब्लास्टिंग से उछलकर आए हुए पत्थरों से जानवरों के लिए की गई तारबंदी भी टूट कर गिर गई है। इससे बची हुई फसल को मवेशी नष्ट कर रहे हैं।
मवेशियों के लिए बोए हुए हरे चारे पर पत्थरों की धूल इतनी जम गई कि हरा चारा भी अपना रंग बदलकर धूल जैसा दिखने लगा है। जानवर भी उससे मुंह मोड़ने लगे हैं। पिछली सरकार में भी इस स्थान पर खनन कार्य किया गया था उसे पर भी कुछ ही समय पाबंदी लग पाई थी। पंचफल योजना के अंतर्गत लगाए गए पौधों को भी नष्ट कर दिया गया। किसानों ने ज्ञापन में यह भी बताया कि इस कार्य को फसल होने तक रोक दिया जाए तो हमें कोई आपत्ति नहीं होगी।
– मैं स्वयं आकर किसानों को हो रही समस्या का समाधान करूंगा। अगर ब्लास्टिंग से फसल का नुकसान हुआ होगा तो तत्काल समाधान भी किया जाएगा।
अंशुमन मीणा, खनि अनुदेशक, खनन विभाग बारां