सनातन धर्म में नाग पंचमी के त्योहार का विशेष महत्व है। ये त्योहार हर साल हिंदू कैलेंडर के पांचवें महीने श्रावण में शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन मनाया जाता है। आमतौर से तीज के दो दिन बाद पड़ने वाले इस त्योहार पर नाग देवता की पूजा की जाती है। मान्यता है कि नाग देवता की पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है। इस दिन बहुत से लोग व्रत भी रखते हैं। इस दिन जरूरतमंद लोगों को दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन घर में मिट्टी से सर्प की मूर्ति बनाकर नाग देवता को फूल, मिठाई और दूध अर्पित करने की परंपरा है।
बाराबंकी के मजीठा गांव निवासी मायादेवी बताती हैं “मजीठा गांव में अधिकतर घरों में अक्सर सांप निकलते रहते हैं। वह इन घरों में निवास करते हैं, लेकिन वे न किसी को नुकसान पहुंचाते हैं और न ही इंसान ही उनको मारते हैं। यहां लोग सांपों को दूध पिलाते हैं, उनको देखते ही हाथ जोड़कर पूजा अर्चना करते हैं। नाग देवता भी उन्हें कभी कोई नुकसान नहीं पहुंचाते, बल्कि उनकी हर परेशानी दूर करते हैं। हर साल सावन में मंदिर में श्रद्धालुओं का जमावड़ा होता है। खासकर नाग पंचमी के दिन ये संख्या कई गुना हो जाती है।
स्थानीय निवासी युवक सुधीर बताते हैं कि वे बचपन से यहां रहते हैं और तरह-तरह के सांप देखते रहे हैं। यहां इंसानो और सांपों के बीच अटूट रिश्ता है। ऐसा कहा जाता है कि यदि इंसान अपने शरीर की किसी बीमारी से परेशान है तो केवल इस मंदिर पर मिट्टी की बनी छोटी-छोटी मठिया चढ़ा देने से उसकी परेशानी दूर हो जाती है। मंदिर में बाराबंकी के अलावा कई जिलों से श्रद्धालु आते हैं। साथ ही दूसरे राज्यों के लोग भी चमत्कारी नाग देवता मंदिर में दर्शन करने आते हैं। श्रद्धालुओं की ऐसी आस्था है कि मंदिर में स्थित मठ पर मिट्टी की भुड़कियां चढ़ाने के बाद इनको घरों में रखने से न तो घर के अंदर सांप आएंगे और न ही जहरीले जीव जंतु ही आएंगे।