इस पूरे मामले की शुरुआत तब हुई जब पीड़िता न्याय की गुहार लगाने चौकी पहुंची। वहां उसे 10 घंटे तक बिठाया गया और अश्लील टिप्पणियां की गईं। इसके बाद, उसे समझौते के लिए मजबूर किया गया और उसके मामा को 50 हजार रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर करने के लिए कहा गया।
जब यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो बाराबंकी के एसपी ने त्वरित कार्रवाई की। थानाध्यक्ष अरुण प्रताप सिंह को लाइन हाजिर किया गया और सब-इंस्पेक्टर मनोज कुमार को सस्पेंड कर दिया गया।
लेकिन, लखनऊ से मात्र 20 किमी दूर इस गंभीर घटना के बावजूद सीनियर पुलिस अधिकारियों ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की और न ही पीड़िता की शिकायत पर ध्यान दिया गया। इस घटना ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या हमारे कानून के रखवाले खुद कानून तोड़ रहे हैं? क्या ऐसे मामलों में त्वरित और सख्त कार्रवाई की जाएगी?
एसपी की प्रतिक्रिया
बाराबंकी के एसपी (पुलिस अधीक्षक) ने घटना के वायरल होने के बाद त्वरित प्रतिक्रिया दी। उन्होंने थानाध्यक्ष अरुण प्रताप सिंह को लाइन हाजिर कर दिया और सब-इंस्पेक्टर मनोज कुमार को सस्पेंड कर दिया। एसपी ने कहा कि ऐसी घटनाएं बर्दाश्त नहीं की जाएगी, और कानून के रखवालों को अपनी जिम्मेदारियों का सही तरीके से निर्वहन करना चाहिए। उन्होंने आश्वासन दिया कि मामले की पूरी तरह से जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। एसपी ने यह भी कहा कि इस तरह की घटनाएं पुलिस की छवि को खराब करती हैं, और पुलिस का कर्तव्य है कि वह पीड़ितों की सहायता और सुरक्षा सुनिश्चित करे, न कि उनके साथ अभद्रता और दुर्व्यवहार किया जाए। मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं ताकि न्याय हो सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।