आदिवासी क्षेत्रों के छात्रों की चुनौतियां
आदिवासी बहुल क्षेत्रों के छात्रों को छात्रवृत्ति की अधिक आवश्यकता है, क्योंकि उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है। छात्रवृत्ति न मिलने से कई छात्र पढ़ाई बीच में छोड़ने को मजबूर हो जाते हैं। ओबीसी, एससी, एसटी व अन्य श्रेणियों के विद्यार्थियों को इस मदद की दरकार है। बांसवाड़ा में स्कूली शिक्षा में विद्यार्थियों की स्थिति
1- प्राथमिक स्तर 72,219
2- उच्च प्राथमिक स्तर 1,32,540
3- माध्यमिक स्तर 2,10,313
गत वर्षों का बकाया भुगतान
विभागीय जानकारी के अनुसार पिछले वर्ष के लिए जिले को 10 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था। इससे पहले क्रमश: 3 करोड़ और 2 करोड़ रुपए दिए गए, जबकि कुल 88 करोड़ रुपए की मांग की गई थी। इस वर्ष की
छात्रवृत्ति का भुगतान अब तक शुरू नहीं हुआ है। सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 12 तक के विद्यार्थियों के नामांकन की तुलना में पैसा काफी कम मिला। चालू सत्र की राशि का अब तक कोई आवंटन नहीं हुआ है।
उत्तर मैट्रिक के 29 हजार आवेदन
बांसवाड़ा जिले में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के तहत उत्तर मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए 29,000 से अधिक छात्रों ने पंजीकरण कराया है। इसमें से 15,000 से ज्यादा छात्र एसटी श्रेणी के हैं। योजना के लिए जिले को 65 करोड़ रुपए से अधिक की आवश्यकता है, जबकि हाल ही में केवल 10 करोड़ रुपए का आवंटन हुआ है, जो पिछले वर्ष की बकाया छात्रवृत्ति के लिए है। यह बजट ऊंट के मुंह में जीरे की तरह है।
जरूरत 60 करोड़ रुपए, आवंटन हुआ 10 करोड़
जिले के सभी पंजीकृत छात्रों को छात्रवृत्ति देने के लिए हमें 60 करोड़ रुपए की और आवश्यकता है। हालांकि, हाल में हमें 10 करोड़ रुपए का आवंटन हुआ है, जिससे वर्तमान में कोई समस्या नहीं आएगी।
गौतमलाल मीणा, उप निदेशक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग
पालनहार योजना में 14 हजार बच्चे शामिल
बांसवाड़ा में पालनहार योजना के तहत 14,000 आवेदन हुए, जबकि प्रदेश स्तर पर यह संख्या करीब 5.60 लाख है। इस योजना में बच्चों को उनकी शिक्षा और भरण-पोषण के लिए पालनहार व्यक्ति या परिवार को राज्य सरकार आर्थिक सहायता देती है।