इसी चुनावी मूड को भांपने के लिए अल सुबह ही उदयपुर से बांसवाड़ा के लिए निकल गया। गनोड़ा बाजार में समोसे की एक दुकान के पास बैठे कुछ लोगों पर बरबस नजर टिक जाती है। अर्जुनलाल मीणा ने बताया कि हर बार कांग्रेस को वोट करते थे, लेकिन इस बार कन्फ्यूज हैं, चाहे वह पार्टी हो या फिर कार्यकर्ता। ऐसे में सीधा मुकाबला भारतीय आदिवासी पार्टी और भाजपा के बीच है। विजय सिंह राव बोले, सीएए, राम मंदिर, अनुच्छेद 370 आदि काम बोलता है। मालवीया भले ही आ गए पर हमें मोदी दिखता है।
बांसवाड़ा में महाराणा प्रताप चौराहे के पास मिले कुछ युवाओं ने कहा कि यहां मुद्दे गौण हैं, अभी कांग्रेस में बगावत की चर्चा हो रही है। कांग्रेस के लोग ही बीजेपी से चुनाव लड़ रहे हैं। काफी कुरेदने पर नानू गमेती ने कहा कि रेलवे लाइन लाने के दावे किए गए थे, क्या हुआ? टीएसपी के नाम पर हमारा हक दूसरों का दिया जा रहा है। एक बात यहां एकदम अलग लगी। शहरी क्षेत्र में लोग राममंदिर, मोदी चेहरा और अनुच्छेद 370 की बात करते नजर आए तो ग्रामीण इलाकों में युवा असल मुद्दों को लेकर अधिक मुखर दिखे।
बागीदौरा बाजार में दिखा कुछ अलग माहौल
बांसवाड़ा से बागीदौरा बाजार पहुंचे। यहां लोकसभा के साथ ही विधानसभा का उप चुनाव भी है। यहां माहौल बिल्कुल जुदा दिखा। पिछले चुनाव में जिन्होंने कांग्रेस का झंडा उठाया था, वे भाजपा की बात करते नजर आए।
बांसवाड़ा लोकसभा सीट और बागीदौरा विधानसभा सीट कांग्रेस नेतृत्व की गफलत के कारण चर्चा में आई है। भाजपा ने तो कांग्रेस छोड़ कर आए महेंद्रजीत सिंह मालवीया को उतारा और उनको भारतीय आदिवासी पार्टी के राजकुमार रोत ने चुनौती दे रखी है। रोत डूंगरपुर की चौरासी विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। कांग्रेस यहां पहले बीएपी से गठबंधन करने वाली थी, लेकिन बाद में लोकसभा सीट पर अरविंद डामोर को और बागीदौरा विधानसभा सीट पर कपूर सिंह को पार्टी सिंबल दे दिया। इन दोनों ने नामांकन पत्र दाखिल कर दिया। ऐनवक्त पर कांग्रेस ने बीएपी से गठबंधन की घोषणा कर अपने प्रत्याशियों से नाम वापस लेने के लिए कहा, लेकिन दोनों ने नाम वापस नहीं लिया।
बांसवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा क्षेत्र हैं। बांसवाड़ा, कुशलगढ़ और घाटोल में कांग्रेस विधायक हैं, जबकि बागीदौरा विधानसभा सीट पर उपचुनाव है। डूंगरपुर और सागवाड़ा सीट पर भाजपा का कब्जा है। बीएपी के पास चौरासी सीट है।