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बैंगलोर

ISRO शुक्र ग्रह पर क्या खोजना चाहता है, वैज्ञानिकों को बताया प्लान

शुक्र मिशन की परियोजना रिपोर्ट तैयार, फंडिंग की आवश्यकता चिन्हित
इसरो अध्यक्ष ने दी वैज्ञानिकों को चुनौती: चांद और मंगल के बाद अब शुक्र की बारी

बैंगलोरMay 05, 2022 / 10:17 pm

Ram Naresh Gautam

ISRO शुक्र ग्रह पर क्या खोजना चाहता है, वैज्ञानिकों को बताया प्लान

ISRO शुक्र ग्रह पर क्या खोजना चाहता है, वैज्ञानिकों को बताया प्लान

बेंगलूरु. चांद और मंगल पर सफल मिशन भेज चुका भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अब शुक्र पर अभियान भेजने की तैयारी में है।

ISRO की मंशा शुक्र को लेकर ऐसी खोजबीन करने की है, जैसी आज तक किसी और देश या किसी अंतरिक्ष ऐजेंसी ने नहीं की हो। इसरो प्रमुख ने अपनी मंशा संगठन के वैज्ञानिकों को बता दी है और उनसे कहा कि वे इस काम में जुट जाएं।
शुक्र विज्ञान पर एक दिवसीय बैठक को संबोधित करते हुए इसरो अध्यक्ष एस.सोमनाथ ने बुधवार को कहा कि मिशन से संबंधित कई तैयारियां हो चुकी है। परियोजना रिपोर्ट भी तैयार है।

लेकिन, इस मिशन से जुड़े देश के अन्य संस्थानों और शैक्षणिक संस्थाओं के वैज्ञानिकों को शुक्र पर ऐसी खोज करनी है जो अद्वितीय हो और दुनिया के देश अभी तक नहीं कर पाए हों।
उन्होंने कहा ‘शुक्र मिशन पर वर्षों से काम चल रहा है। परियोजना रिपोर्ट तैयार है। फंड की आवश्यकता चिन्हित कर ली गई है। कम समय में ही शुक्र पर मिशन भेजने के लिए अंतरिक्षयान तैयार करने और उसे कक्षा में स्थापित करने में भारत सक्षम है। क्योंकि भारत में यह क्षमता है। लेकिन, हम ऐसा मिशन भेजना चाहते हैं जिससे कोई अनूठा परिणाम हासिल हो। जैसा चंद्रयान-1 में हमने पानी की खोज की। उसी तरह मंगलयान मिशन और एस्ट्रोसैट मिशन भी काफी कामयाब रहे और हमने वो वैज्ञानिक तथ्य दुनिया के सामने लाए जो पहले के मिशन नहीं कर पाए थे।’
इसरो अध्यक्ष ने वैज्ञानिकों से कहा कि संसाधनों और फंडिंग के दृष्टिकोण से यह दौर कठिन है। इसलिए शुक्र पर भेजे जाने वाले मिशन का उद्देश्य और परिणाम ऐसा होना चाहिए जो निवेश की जाने वाली धनराशि के अनुरूप हो।
शुक्र से वह परिणाम हासिल कर पाएं जो अभी तक दुनिया के दूसरे मिशन नहीं कर पाए। उन्होंने कहा ‘हमें दोहराव से बचना है। मिशन से आए परिणाम अद्वितीय और वैश्विक स्तर पर प्रभाव पैदा करने वाले हों। ‘
70 के दशक से ही कई मिशन भेजे गए

गौरतलब है कि अमरीका भी शुक्र पर मिशन भेजने की तैयारी कर रहा है। हालांकि, 70 के दशक से ही शुक्र पर कई मिशन भेजे गए।
अमरीका ने मैरिनर-2 रोबोटिक स्पेस प्रोब भेजा तो सोवित संघ ने वेनेरा शृंखला के कई यान भेजे। वर्ष 1978 में नासा की शुक्र पर पॉयोनियर वीनस परियोजना से काफी जानकारियां मिलीं। वर्ष 1980 से 90 के बीच कई फ्लाई-बाई मिशन भेजे गए।
अप्रेल 2006 में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने शुक्र पर दीर्घावधि मिशन के तहत वीनस एक्सप्रेस भेजा। वहीं वर्ष 2015 में जापान ने अपना मिशन अकात्सुकी भेजा। अमरीका समेत कई देश फिर एक बार शुक्र पर मिशन भेजने की तैयारी कर रहे हैं।

कई रहस्य खोलेगा शुक्र अभियान
दरअसल, सौरमंडल में सूर्य से दूरी के हिसाब से शुक्र दूसरे स्थान पर है। कई मायनों में यह धरती जैसा है। सूर्य का एक परिभ्रमण यह 225 दिनों में ही पूरा कर लेता है।
सूर्य से करीब होने के कारण यह काफी गर्म है। अगर इसरो शुक्र पर सफलतापूर्वक मिशन भेजता है तो यह एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी।

प्राथमिक उद्देश्य शुक्र पर सल्फ्यूरिक एसिड और बादलों के नीचे के रहस्य को उजागर करना है। इसरो इस मिशन को दिसम्बर 2024 तक लॉन्च करना चाहता है।

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