बैंगलोर

भाजपा के आंतरिक संघर्ष का अंत नहीं, बढ़ती जा रही दरारें

प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव से पहले गहराए आपसी मतभेद
सर्वसम्मति से प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव आसान नहीं

बैंगलोरJan 27, 2025 / 07:46 pm

Rajeev Mishra

प्रदेश कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर सार्वजनिक बयानबाजी फिलहाल अस्थायी रूप से थम गई है। राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की सख्त चेतावनी के बाद पार्टी नेता आंतरिक मुद्दों पर सार्वजनिक रूप से अपना विचार जाहिर नहीं कर रहे हैं। दूसरी ओर, भाजपा के आंतरिक संघर्ष का कोई अंत नहीं नजर आ रहा है।
पहले से ही दो खेमों में स्पष्ट रूप से बंटी भाजपा के भीतर कई और दरारें सामने आ गई हैं। एक तरफ बसनगौड़ा पाटिल यत्नाल और रमेश जारकीहोली प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद किए हैं वहीं बल्लारी में दो करीबी दोस्त से राजनीतिक अदावत पर उतर आए हैं। बी.श्रीरामुलू और जनार्दन रेड्डी के बीच सार्वजनिक विवाद ने पार्टी के भीतर की कमजोरियों को उजागर कर दिया है। श्रीरामुलू ने संडूर उपचुनाव में मिली हार पर प्रदेश मामलों के प्रभारी राधामोहन दास अग्रवाल के साथ बंद कमरे में हुई तकरार को सार्वजनिक किया और रेड्डी पर साजिश रचने का आरोप लगाया। बदले में रेड्डी ने यह दावा कर दिया कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार अपनी ही पार्टी के नेता सतीश जारकीहोली का सियासी कद घटाने के लिए श्रीरामुलू को पार्टी में शामिल कराने की कोशिश कर रहे हैं। शिवकुमार ने आरोपों को खारिज किया, लेकिन स्वीकार किया कि विधानसभा चुनावों से पहले उन्होंने श्रीरामुलू समेत लगभग 50 अन्य नेताओं को पार्टी में आमंत्रित किया था। मगर उन्होंने मना कर दिया।
श्रीरामुलू की ताकत जानती है पार्टी
भाजपा के एक नेता ने कहा कि हाल के चुनावों में भले ही बी.श्रीरामुलू को झटके लगे हैं और वे चुनाव हार गए, लेकिन पार्टी उनकी ताकत जानती है। अगर वह पार्टी छोड़ते हैं तो यह भारी झटका होगा। भाजपा श्रीरामुलू को नाराज नहीं करना चाहती। यही वजह है कि श्रीरामुलू के बयान के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनसे बात की और शांत कराने की कोशिश की। दरअसल, श्रीरामुलू और जनार्दन रेड्डी ने मिलकर बल्लारी में पार्टी को मजबूत किया था। खासकर जब सुषमा स्वराज वर्ष 1999 में सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लडऩे उतरीं तब एक हाई-वोल्टेज मुकाबला हुआ। एक समय श्रीरामुलू भाजपा में उप मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार बने। हाल के विधानसभा और लोकसभा चुनावों में मिली हार के बावजूद वह पार्टी में उनका कद कम नहीं हुआ है।
प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव एक बड़ी चुनौती
सूत्रों का कहना है कि फिलहाल पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। हाल ही में प्रदेश अध्यक्ष विजयेंद्र ने बैठक बुलाई थी जिसमें अधिकांश नेताओं ने उनका समर्थन किया। निर्वाचित प्रतिनिधियों और अधिकांश नेताओं का समर्थन होने के बावजूद उनका राह आसान नहीं है। पार्टी के सामने चुनावों से बचने के लिए आम सहमति बनाना एक बड़ी चुनौती है। अगर आम सहमति नहीं बनी तो मतभेद और गहरे होंगे। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव सर्वसम्मति से ही होने की पूरी संभावना है। पार्टी अप्रिय प्रतिद्वंद्विता से बचने की कोशिश करेगी। वरिष्ठ भाजपा नेता और एमएलसी एन रवि कुमार ने कहा कि सभी दलों में समस्याएं हैं। उन्हें विश्वास है कि पार्टी एक जिम्मेदार और प्रभावी विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए जरूरी सुधारात्मक कदम उठाएगी।

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