अपनी रिपोर्ट में समिति ने बिजली खरीद, ऋण प्रबंधन और नगदी प्रबंधन आदि को सुव्यवस्थित करने के लिए कई सिफारिशें की है। यह भी कहा है चालू वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर (31 मार्च 2022 तक) पांच एस्कॉम कंपनियों का कर्ज बढ़कर 29 हजार 764 करोड़ रुपए हो जाएगा। सरकार का बकाया बिजली खरीद 16 हजार 400 करोड़ रुपए है।
समिति ने एक राज्य ऊर्जा नीति और राज्य ऊर्जा नियोजन परिषद एवं निदेशालय के गठन की सिफारिश की है। साथ ही, बिजली दरों को युक्तिसंगत बनाने की योजना पर भी बल दिया है। बिजली कंपनियों के प्रस्तावित पुनर्गठन के तहत होल्डिंग कंपनी बिजली खरीद, ऋण प्रबंधन, बिजली खरीद समझौते और ऋण समझौतों का प्रबंधन करेगी। दैनिक रखरखाव व्यय को छोड़कर नई कंपनी शेष सभी वित्तीय कार्य संभालेगी। एस्कॉम के पास केवल रखरखाव व्यय के लिए वित्तीय स्वतंत्रता होगी।
रिपोर्ट में कृषि कार्यों के लिए बिजली आपूर्ति को युक्तिसंगत बनाने पर भी जोर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि राज्य में 30 लाख बिना मीटर वाले सिंचाई पंप हैं। इन्हें मुफ्त बिजली आपूर्ति की जाती है जो राज्य सरकार के लिए एक चिंता का विषय है। अन्य सुधारों में बिजली कर पर उपकर लगाना, कैप्टिव खपत पर कर बढ़ाना, उच्च लागत वाले बिजली खरीद समझौतों पर फिर से बातचीत करना, एस्कॉम में मैन-पावर और ट्रांसमिशन लागत को कम करना शामिल है।