बेंगलूरु. कर्नाटक जैन भवन में आचार्य प्रसन्न सागर ने धर्म सभा में कहा कि दुनिया में तीन तरह के लोग हैं -एक वे जिन्हें यह नहीं मालूम है कि वे कौन हैं। दूसरे वे लोग जो स्वयं से पूछते हैं – कि वे कौन हैं। तीसरे वे लोग जिन्होंने जान लिया कि वे कौन हैं।पहले तरह के लोग संसारी, दूसरे सन्यासी, तीसरे जीव सिद्ध परमात्मा हैं। आचार्य ने कहा कि जिंदगी की मूल जिज्ञासा स्वयं को जानने की है। जिसने अपने आप को जाना, वही महावीर बन पाए। कुछ लोग बचपन में ही जाग जाते हैं, निःसंदेह वे बड़भागी हैं , उनके सौभाग्य का क्या कहना। आचार्य कुंदकुंद , आचार्य जिनसेन ऐसे ही थे। जो लोग बचपन में सोए रहते हैं , लेकिन जवानी में जाग जाते हैं , वे भी भाग्यशाली हैं। भगवान महावीर और गौतम बुद्ध ऐसे ही सौभाग्यशालियों में से थे। कुछ लोग बचपन और जवानी में सोए रहते हैं, पर बुढ़ापे में जाग जाते हैं, वे भी भाग्यशाली हैं । लेकिन बहुत से लोग सोए – सोए ही पैदा होते हैं, सोए – सोए जीते हैं और सोए – सोए ही दुनिया से कूच कर जाते हैं।
हमें दुनिया से कूच करने से पहले अवश्य जाग जाना चाहिए। उपाध्याय पीयूष सागर ने 14 से 18 मई तक आचार्य के सान्निध्य में सम्पन्न होने वाले शिविर की जानकारी दी। होसूर मेन रोड पर सत्य साई संस्कृत सदनम में अक्षय तृतीया का महापर्व शुक्रवार को आचार्य संघ के सान्निध्य में मनाया जाएगा।
Hindi News / Bangalore / भाग्यशाली हैं वे लोग जो जाने से पहले जाग जाते हैं: आचार्य प्रसन्न सागर