जैनत्व के संस्कारों को जीवन में उतारें: साध्वी चैतन्यश्री
राजाजीनगर जैन स्थानक में प्रवचन
बेंगलूरु. राजाजीनगर जैन स्थानक में साध्वी चैतन्यश्री ने धर्मसभा में कहा कि हमारा जन्म जैन कुल में हो गया लेकिन जैनत्व हमारे जीवन में अभी तक नहीं आया। हमारा व्यवहार अभी तक जैनत्व से नहीं जुडा है। जैन कुल में जन्म लेना ही जैन नहीं होता है। हमें हमारे कर्म भी जैन दर्शन के अनुसार करने होंगे तभी हम जैन कहलाने के पात्र हो सकते हैं। यदि जैनत्व के संस्कार हमारे में नहीं है, फिर हम जैनी कैसे । जैनत्व होगा तो ज्ञान की अभिवृद्धि करने में रुचि बढ़ेगी। हम हमारे सिद्धान्तों की राह पर चलें तो ही हम सच्चे जैन हैं, जैनत्व के संस्कारों को जीवन में उतारकर ही हम जैन बन पायेंगे। हमें हमारे आचरण से हर कार्य को यतनापूर्वक करना है ।उन्होंने कहा कि ज्ञानियों ने मोक्ष के तीन मार्ग बताये है- सम्यक् ज्ञान, सम्यक् दर्शन और सम्यक् चारित्र। मोक्ष का मार्ग मनुष्य गति से ही संभव है।
इसके पूर्व साध्वी जिज्ञासा ने कहा कि मनुष्य का जन्म दुर्लभ है।
इस अवसर पर अतिथियों में चेन्नई से सुशील बोहरा एवं श्रीरामपुरम से गणेशमल गुगलिया उपस्थित रहे। मंगलवार को साध्वीवृन्द का विहार शोभा अपार्टमेंट की ओर रहेगा। ज्ञातव्य है कि साध्वीवृन्द का आगामी चातुर्मास बेंगलूरु सेंट्रल संघ के तत्वावधान में महावीर धर्मशाला में घोषित है। अध्यक्ष प्रकाशचंद चाणोदिया ने आभार ज्ञापित किया और संचालन संघ मंत्री नेमीचंद दलाल ने किया।
Hindi News / Bangalore / जैनत्व के संस्कारों को जीवन में उतारें: साध्वी चैतन्यश्री