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शिक्षा

शोध, नवाचार के बिना शिक्षा अधूरी

यदि छात्र खोज नहीं सकते, सवाल नहीं कर सकते या नवाचार नहीं कर सकते, तो शायद हम उन्हें किसी भी चीज के लिए तैयार नहीं कर रहे हैं। इनके बिना शिक्षा अधूरी है।

बैंगलोरOct 18, 2024 / 01:52 pm

Nikhil Kumar

कई अग्रणी कंपनियों ने भारत भर के स्कूलों में एसटीइएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखने और सुधारने के लिए क्षमता निर्माण और संसाधनों को बढ़ाने के लिए सीएसआर (कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व) पहल की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है। शोध और नवाचार को शिक्षा का महत्वपूर्ण अंग बताया है।
इन कंपनियों के प्रतिनिधियों ने विज्ञान और औद्योगिक अनुसंधान संगठन प्रयोग की ओर से आयोजित एक गोलमेज सम्मेलन में कई सुझाव दिए। प्रयोग के संस्थापक और मुख्य सलाहकार डॉ. एच.एस. नागराज ने कहा, हमारी शिक्षा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण तत्व जो गायब है, वह है शोध। भविष्य के लिए तैयार कार्यबल तैयार करने के लिए कक्षाओं में शोध और पूछताछ-आधारित शिक्षा को एकीकृत करना आवश्यक है। ग्रामीण स्कूलों में एसटीइएम शिक्षा को बढ़ाने पर जोर है।
विशेषज्ञों की आम राय थी कि 21वीं सदी की शिक्षा में आलोचनात्मक और रचनात्मक सोच कौशल आवश्यक हैं, खासकर एसटीइएम क्षेत्रों में। सवाल करने, चुनौती देने और नवाचार करने की क्षमता को बढ़ावा दिए बिना, हम छात्रों को उनके भविष्य के लिए अपर्याप्त रूप से तैयार करने का जोखिम उठाते हैं। यदि छात्र खोज नहीं सकते, सवाल नहीं कर सकते या नवाचार नहीं कर सकते, तो शायद हम उन्हें किसी भी चीज के लिए तैयार नहीं कर रहे हैं। इनके बिना शिक्षा अधूरी है।

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