90 दिन के अंदर मांगी जांच रिपोर्ट
इतना ही नहीं, अदालत ने ओला की आंतरिक शिकायत समिति को कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2013 के तहत जांच शुरू करने का भी निर्देश दिया। यह भी निर्देश दिया गया है कि 90 दिनों के अंदर जांच पूरी कर इसकी रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजी जाये। इसके अलावा एएनआई टेक्नोलॉजी को याचिकाकर्ता के मामले की लागत के लिए 50 हजार रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया गया है। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में शामिल सभी पक्षों को पीओएसएच अधिनियम की धारा 16 का पालन करना चाहिए। ताकि सभी लोगों की पहचान गुप्त रखी जा सके। इससे पहले कोर्ट ने 20 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
ये है पूरा मामला
इस मामले में महिला ने आरोप लगाया कि ड्राइवर ने अगस्त 2018 में उसका यौन उत्पीड़न किया था और उसकी शिकायत के बाद भी ओला उचित कार्रवाई करने में विफल रही। कैब में सफर के दौरान ड्राइवर उसे रियर-व्यू मिरर से देखता रहा और फोन पर पॉर्न वीडियो भी चला दिया। इतना ही नहीं, याचिकाकर्ता ने कहा कि ड्राइवर गंतव्य से पहले कैब रोकने से इनकार करते हुए हस्तमैथुन कर रहा था।
कंपनी ने कार्रवाई नहीं की
महिला की शुरुआती शिकायत के बाद ओला ने उसे सूचित किया कि ड्राइवर को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। इतना ही नहीं उसे काउंसलिंग के लिए भेजा जाएगा. हालांकि, कंपनी ने आगे कोई कार्रवाई नहीं की, जिसके बाद महिला ने पुलिस में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई।