तेज हो सकती है हानि
40 साल की उम्र के बाद पुरुषों और महिलाओं, दोनों के शरीर में बदलाव आता है। शरीर तेजी से मांसपेशियों को खोना शुरू कर देता है। 40-80 वर्ष के बीच मसल्स मास इंडेक्स 33 प्रतिशत तक कम हो सकता है। फेफड़ों के पुराने रोग, मधुमेह, हृदय रोग आदि जैसी स्थितियां मांसपेशियों की हानि को तेज कर सकती हैं।
हड्डियों का भार संभाल नहीं पातीं कमजोर मांसपेशियां
कमजोर मांसपेशियों के कारण कई लोग विभिन्न प्रकार के जोड़ों के दर्द (Joint Pain) से परेशान हैं। लेकिन, ज्यादातर चिकित्सकों का भी इस ओर ध्यान नहीं जाता है। कमजोर मांसपेशियां हड्डियों का वजन संभाल नहीं पाती हैं। इसका प्रभाव नसों पर पड़ता है। समय गुजरने के साथ समस्या और विकराल हो जाती है।
ध्यान देने की जरूरत
फिजियोथेरपिस्ट डॉ. शत्रुंजय शरण ने बताया कि गर्दन, कंधे, कमर और घुटनों में दर्द का सबसे बड़ा कारण है मांसपेशियों की कमजोरी। साधारण व्यायाम और फिजियोथेरेपी से कई मरीज ठीक हुए हैं। ज्यादातर मरीजों और उनके चिकित्सकों ने मांसपेशियों की ओर ध्यान ही नहीं दिया था। मजबूत मांसपेशियों से हमारा संतुलन बना रहता है और फिसलने या गिरने की संभावना कम हो जाती है। इससे ऑस्टियोपोरोसिस और हड्डी से जुड़ी अन्य बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। मजबूत और तंदुरुस्त मांसपेशियों के लिए प्रोटीन से भरपूर भोजन, व्यायाम तथा शारीरिक परिश्रम बेहद जरूरी है।
अमीनो एसिड के प्रमुख स्रोत
एबॉट्स न्यूट्रिशन में मेडिकल एंड साइंटिफिक अफेयर्स के प्रमुख डॉ. इरफान शेख ने बताया कि ज्यादातर लोग इस बात से अनजान हैं कि खराब मांसपेशियों का असर भी पड़ सकता है। पुरानी बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली और भी महत्वपूर्ण है। अध्ययन बताते है कि मांसपेशियां उन यौगिकों का उत्पादन और स्राव करती हैं। वे तनाव या संक्रमण के दौरान शरीर द्वारा उपयोग किए जाने वाले अमीनो एसिड के प्रमुख स्रोत भी हैं।
बहुत कुछ प्रभावित
डॉ. शेख के अनुसार आहार सीधे कोलेस्ट्रॉल, रक्त शर्करा, रक्तचाप, त्वचा, नींद, हड्डियों के स्वास्थ्य, मांसपेशियों की ताकत, ऊर्जा के स्तर और बहुत कुछ को प्रभावित करता है। जिंक, कॉपर, सेलेनियम, आयरन, कॉपर और विटामिन जैसे ए, सी और ई आदि पोषक तत्वों की कमी से इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है।