मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने घोषणा की कि वास्तविक उधारकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए जल्द ही एक नया कानून लागू किया जाएगा। साथ ही ऋण वसूली के लिए आपराधिक बल, धमकी और उत्पीड़न का सहारा लेने वाली माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही की चेतावनी भी दी।
वित्त विभाग का भी दायित्व संभाल रहे मुख्यमंत्री ने उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार, कानून मंत्री एच.के. पाटिल, गृह मंत्री डॉ. जी. परमेश्वर, राजस्व मंत्री कृष्ण बैरेगौड़ा और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद यह घोषणा की। सिद्धरामय्या ने कहा, सरकार माइक्रोफाइनेंस से ऋण लेने वालों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उधारकर्ताओं को परेशान करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
उधारकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए अध्यादेश के माध्यम से एक नया कानून बनाया जाएगा। माना जा रहा है कि सरकार अध्यादेश से माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को विनियमित करने और उन्हें ऋण वसूली कार्यों को आउटसोर्सिंग करने से रोकेगी। साथ ही, शाम 5 बजे के बाद ऋण वसूली पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा, कई अपंजीकृत कंपनियां हैं और यहीं पर समस्या है। इसीलिए हम अपंजीकृत वित्तीय संस्थानों को विनियमित करने के लिए एक नया कानून ला रहे हैं। सिद्धरामय्या ने कहा, ऋण वसूली कार्यों की आउटसोर्सिंग पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।
कंपनियों के खिलाफ सात मामले दर्जसिद्धरामय्या ने कहा कि सरकार माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को ऋण देने और ऋण वसूली करने से नहीं रोकेगी। लेकिन वसूली के लिए गुंडों और उपद्रवियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसा नहीं होना चाहिए। जबरन वसूली से उत्पीड़न, भय, अपमान, अनादर, घरों में ताला लगने की स्थिति बनती है। इन्हीं कारणों से लोग पीडि़त हैं। उन्होंने कहा कि अब तक ऋण लेने वाले चार लोगों की आत्महत्या से मौत हो चुकी है और माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के खिलाफ सात मामले दर्ज किए गए हैं।
ताक पर नियम, अधिक ब्याज
सिद्धरामय्या के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को 17.07 प्रतिशत तक ब्याज लगाने की अनुमति देता है। लेकिन 21 से 29 प्रतिशत के बीच ब्याज दरें बहुत ज्यादा हैं। कोई विनियमन नहीं है। सिद्धरामय्या ने कहा, नियमों के मुताबिक एक परिवार को तीन से ज्यादा लोन नहीं दिए जा सकते। लेकिन 4-6 लोन बिना चुकाने की क्षमता को देखे दिए गए हैं। सरकार इसे भी विनियमित करना चाहती है। प्रस्तावित अध्यादेश का मसौदा कानून, राजस्व, वित्त और गृह विभाग तैयार करेंगे। उन्होंने कहा कि हम आंध्र प्रदेश के कानून पर भी विचार करेंगे। अध्यादेश जारी करने के अलावा सरकार ने साहूकारों और पॉन ब्रोकर्स को नियंत्रित करने वाले मौजूदा कानूनों में संशोधन करने का भी फैसला किया है। पुलिस को शिकायतों का इंतजार किए बिना मामले उठाने के निर्देश दिए गए हैं।
हर जिले में हेल्पलाइन
सिद्धरामय्या ने कहा, अगर नियमों, विनियमों और कानूनों का उल्लंघन होता है, तो पुलिस तुरंत कार्रवाई कर सकती है। हर जिले में जिलाधिकारी के दफ्तरों में एक हेल्पलाइन स्थापित की जाएगी, ताकि नागरिक माइक्रोफाइनेंस फर्मों के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकें। पुलिस इन शिकायतों के आधार पर कार्रवाई शुरू कर सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक के निर्धारित ऋण वसूली मानदंडों का उल्लंघन करने वाले वसूली एजेंटों और वित्त कंपनी मालिकों के खिलाफ स्वत: संज्ञान शिकायत दर्ज करने का निर्देश दिया गया है।इससे पहले मुख्यमंत्री ने माइक्रोफाइनेंस संस्थानों के प्रतिनिधियों के साथ बंद कमरे में बैठक की और कर्ज वसूलने के लिए अवैध तरीकों का इस्तेमाल करने वाले अपने वसूली एजेंटों को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए उन्हें आड़े हाथों लिया।