कैंसर रोग विशेषज्ञों के अनुसार तेजी से बढ़ते शहरी विकास और यातायात की भीड़ के कारण वायु प्रदूषण Air Pollution सहित इनडोर प्रदूषण का उच्च स्तर एक बड़ी चिंता का विषय है। यह प्रदूषण श्वसन संबंधी बीमारियों और लंग कैंसर Lung Cancer से जुड़ा हुआ है। हालांकि, सिगरेट और बीड़ी सहित धूम्रपान एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक बना हुआ है। सेकंड हैंड स्मोकिंग के संपर्क में आने से भी लंग कैंसर के मामले बढ़े हैं।
कर्नाटक Karnataka और विशेषकर बेंगलूरु में मामले लगातार बढ़े हैं। गत वर्ष राज्य में लंग कैंसर के 5,272 नए मरीज मिले जबकि किसी भी समय न्यूनतम 14,243 मरीज उपचाराधीन होते हैं। स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं और कैंसर जांच कार्यक्रमों तक पहुंच में असमानताएं हैं। निपटने के लिए नीतिगत बदलावों, सामुदायिक सहभागिता और बहु-स्तरीय रोकथाम गतिविधियों की जरूरत है।
जनसंख्या आधारित कैंसर रजिस्ट्री के आंकड़ों के अनुसार 1982 और 1991 के बीच, लंग कैंसर पुरुषों में दूसरा सबसे बड़ा कैंसर था, जिसकी घटना दर 8.5 प्रतिशत थी। आज, पुरुषों में होने वाले कैंसरों में करीब 10 फीसदी हिस्सेदारी लंग कैंसर की है। बेंगलूरु में मामलों की संख्या अन्य जिलों की तुलना में उल्लेखनीय रूप से अधिक है। पुरुषों के लिए, वर्ष 2023 में अनुमानित मामले 783 से वर्ष 2024 में बढ़कर 813 हो गए जबकि वर्ष 2025 के लिए यह आंकड़ा 845 है। इसके विपरीत, कर्नाटक में 2025 तक महिला फेफड़ों के कैंसर के मामलों का अनुमान 1,715 है। इनमें से 365 मामले बेंगलूरु से हैं।
फेफड़ों का कैंसर पहले से कहीं अधिक आक्रामक हो गया है। पिछले एक दशक में शहरी महिलाओं सहित युवतियों में भी कैंसर के मामले बढ़े हैं। 60 फीसदी से अधिक मामले उन्नत अवस्था में होते हैं। खराब हवादार घरों में खाना पकाने और गर्म करने के लिए ठोस ईंधन के जलने से होने वाले इनडोर वायु प्रदूषण भी महिलाओं में फेफड़ों के कैंसर का प्रमुख कारण है।
-डॉ. स्मिता एस., वरिष्ठ मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट
थूक में खून आना, सीने में दर्द, वजन में उल्लेखनीय कमी, लगातार खांसी, सिरदर्द और धुंधली दृष्टि जैसे लक्षण वाले मरीज देर से अस्पताल पहुंच रहे हैं। कॉलेज के दिनों में धूम्रपान, ई-सिगरेट का उपयोग, वायु प्रदूषण का उच्च स्तर और इनडोर प्रदूषण युवाओं में बढ़ते फेफड़ों के प्रमुख कारण हैं।
-डॉ. मंगेश कामत, ऑन्कोलॉजिस्ट
धूम्रपान और कैंसर के अन्य ज्ञात जोखिम कारकों के संपर्क में नहीं आने के बावजूद विशेषकर 40-50 वर्ष की आयु के लोगों में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। महिलाओं और युवा पुरुषों में भी बिना धूम्रपान के भी फेफड़ों का कैंसर विकसित हो रहा है। अब युवा आयु समूहों में तेजी से प्रगति और देर से पता लगाने का एक पैटर्न है।
-डॉ. रविंद्र मेहता, पल्मोनोलॉजिस्ट