जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने शिवकुमार और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब मांगा है। मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या की अध्यक्षता वाली मौजूदा कैबिनेट ने 23 नवंबर 2023 को कहा कि शिवकुमार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले की जांच के लिए सीबीआई को सहमति देने का पिछली भाजपा सरकार का 2019 का कदम कानून के अनुसार नहीं था। परिणामस्वरूप मंजूरी वापस लेने का फैसला किया।
29 अगस्त को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कांग्रेस सरकार के सहमति वापस लेने के फैसले को चुनौती देने वाली सीबीआई और भाजपा विधायक बसनगौड़ा पाटिल यत्नाल की याचिका को खारिज कर दिया था। हालांकि,यत्नाल और सीबीआई ने उच्च न्यायालय के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है।
17 सितंबर को इसी पीठ ने यत्नाल की याचिका पर शिवकुमार और राज्य सरकार को नोटिस जारी किए थे। राज्य सरकार के 26 दिसंबर, 2023 के आदेश को भी चुनौती दी गई थी, जिसमें 74.93 करोड़ रुपये के डीए मामले को जांच के लिए लोकायुक्त को भेजा गया था।
शिवकुमार के खिलाफ डीए का मामला
सीबीआई ने आरोप लगाया था कि शिवकुमार ने 2013 और 2018 के बीच अपनी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित की। इस अवधि के दौरान वह पिछली कांग्रेस सरकार में मंत्री थे। सीबीआई ने राज्य सरकार की सहमति के आधार पर 3 अक्टूबर, 2020 को शिवकुमार के खिलाफ डीए का मामला दर्ज किया। आयकर जांच से उभरे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से भेजे गए संदर्भ के बाद 25 सितंबर, 2019 को भाजपा सरकार ने शिवकुमार पर मुकदमा चलाने के लिए सीबीआई को मंजूरी दे दी।
धन शोधन के आरोप में ईडी ने किया था गिरफ्तार
शिवकुमार को 2017 और 2019 के बीच उनके खिलाफ आयकर विभाग की जांच से उपजे कथित धन शोधन के आरोपों के आधार पर सितंबर 2019 में ईडी ने गिरफ्तार किया था। उन्हें अक्टूबर, 2019 में ईडी मामले में जमानत पर रिहा कर दिया गया था। 5 मार्च को शीर्ष अदालत ने शिवकुमार के खिलाफ धन शोधन मामले को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसे अनुसूचित अपराध से जोड़ा जाना चाहिए।