दशलक्षण महापर्व आध्यात्मिक औषधि है-मुनि अमरकीति
दशलक्षण महापर्व आध्यात्मिक औषधि है-मुनि अमरकीति
बेंगलूरु. युगल मुनि के सान्निध्य में इंद्रध्वज महामण्डल विधान में काफी संख्या में भक्तों ने भाग लिया। सुबह गाजे बाजे से भगवान महावीर जिनालय से जुलूस शुरू हुआ। इंद्र-इंद्राणी हाथों में पचरंगी ध्वजा, 24 तीर्थंकरों की प्रतिमा, मां पद्मावती, ज्वालामालिनी देवी, सर्वान्हय यक्ष, मंगल कलशमुहूर्त ध्वजारोहण मण्डप स्थापना, इंद्र प्रतिष्ठा, मंगल कलश स्थापना, पंचमेरु स्थापना,अष्टमंगल द्रव्य स्थापना, जिन बिम्ब स्थापना, सर्वांहय यक्ष, पद्मावती माता, ज्वालामालिनी माता स्थापना, अंकुरारोपण, आदि मांगलिक क्रियाएं लाभार्थी परिवारों ने की। दिगम्बर युगल मुनि ने गणिनी आर्यिका शिरोमणी ज्ञानमती माताजी रचित इन्द्रध्वज महामण्डल की अचिन्त्य महिमा बताई। इस अवसर पर मुनि अमरकीति ने कहा दशलक्षण महापर्व आध्यात्मिक औषधि है। पर्यूषण पर्व दशधर्म के नाम से अपनी आभा आत्मा तक पहुंचाता है। यह पर्व साम्प्रदायिक नहीं, समयकत्व दायिनी आध्यात्मिक औषधि है जो दस दिन तक नए-नए ढंग से पिलाई जाती है और समझायी जाती है। मुनि अमोघकीर्ति ने कहा आज उत्तम क्षमा का दिन है। उत्तम क्षमा निर्वाण यात्रा का प्रथम सोपान है। धर्म वृक्ष की जड़ है जो सब को सम्भाले हुए है। जड़ स्वस्थ होगी तो फल-फूल अच्छे आएंगे। क्रोध एक मूढ़ता है, सत्य को पास आने नहीं देता और सत्य के पास जाने भी नहीं देता। दशलक्षण पर्व यह बताने आया है कि क्रोधाग्नि से बच कर रहना। पर्यूषण पर्व तुम्हारे बहुरुपिएपन को मिटाने वाला पर्व है।
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