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बैंगलोर

Karnataka Politics : बोम्मई सरकार के एक साल में ‘विकास’ पर हावी रहे विवाद

छाए रहे सांप्रदायिक मुद्दे

बैंगलोरJul 28, 2022 / 02:25 am

Rajeev Mishra

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बेंगलूरु. मुख्यमंत्री Karnataka CM बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली भाजपा BJP सरकार के एक साल के कार्यकाल में विवाद ही ज्यादा हावी रहे। राज्य में विधानसभा चुनाव में कुछ ही महीने बाकी है और बोम्मई पर भाजपा को पुन: सत्ता में वापस लाने की चुनौती है।

पिछले साल 28 जुलाई को पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येडियूरप्पा b s yediyurappa से सत्ता की बागडोर संभालने के बाद बोम्मई ने सकारात्मक राजनीति और सुशासन पर जोर दिया। लेकिन, उनके अधिकांश कार्यकाल में धर्मांतरण विरोधी कानून से जुड़े सांप्रदायिक मुद्दे, हिजाब और हलाल विवाद, मंदिर मेलों के दौरान मुस्लिम व्यापारियों पर प्रतिबंध और धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के इस्तेमाल से जुड़े विवादास्पद मुद्दे छाए रहे। पार्टी के एक पदाधिकारी के अनुसार सांप्रदायिक मुद्दों ने इस सरकार के विकास कार्यों को प्रभावित किया है। सरकार के बेहतर कार्यों को लोगों के सामने लाने और बतानेे की जरूरत है। सरकार के पास अपने अच्छे कार्यों के बताने और विकास गतिविधियों से मतदाताओं को लुभाने के लिए अब चंद महीने शेष रह गए हैं। इसके लिए जनोत्सव कार्यक्रम एक अवसर हो सकता है।
पर्दे में रही कल्याणकारी योजनाएं
पार्टी सूत्रों के अनुसार राज्य में चुनाव से पहले विकास के एजेंडे को पेश करना पार्टी के लिए महत्वपूर्ण है। किसानों, बुनकरों और मछुआरों के बच्चों के लिए छात्रवृत्ति कार्यक्रम, अमृत योजनाओं और यशस्विनी योजनाओं को फिर से शुरू करने जैसे कदमों और कल्याणकारी योजनाओं के बारे में आम जनता को जानकारी देने की जरूरत है।

भ्रष्टाचार पर रक्षात्मक रही सरकार
राज्य में 1985 के बाद अब तक कोई भी पार्टी पांच साल बाद सत्ता में दोबारा वापसी नहीं की है। भाजपा ने आगामी विधानसभा चुनावों में 150 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। बोम्मई की चुनौती इसलिए भी बड़ी है क्योंकि, सरकार भ्रष्टाचार के मुद्दे पर रक्षात्मक मुद्रा में है। राज्य ठेकेदार संघ ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मंत्रियों और विधायकों को 40 फीसदी कमीशन देने की शिकायत की थी। इसके बाद ठेकेदार संतोष पाटिल की आत्महत्या के तूल पकडऩे पर पार्टी के वरिष्ठ नेता केएस ईश्वरप्पा को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके आलवा बोम्मई शासनकाल में ही बिटकॉइन घोटाले के आरोप लगे जबकि पुलिस उपनिरीक्षकों की भर्ती में भी घोटाला उजागर हुआ जिसमें एजीडीपी रैंक के अधिकारी को गिरफ्तार किया गया। भ्रष्टाचार के इन मामलों ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। पाठ्य पुस्तक संशोधन विवाद में भी सरकार को रक्षात्मक रुख अपनाना पड़ा। शिक्षाविदों से लेकर प्रबुद्ध विचारकों के निशाने पर सरकार आई।

विपक्ष ने कहा, बोम्मई ने किया निराश
प्रदेश कांग्रेस ने सरकार के ‘जनोत्सवÓ कार्यक्रम को ‘भ्रष्टाचारोत्सवÓ करार देते हुए कहा कि बोम्मई के कार्यकाल में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुए जो राज्य के इतिहास में कभी नहीं हुए थे। पहली बार ठेकेदारों को 40 प्रतशत कमीशन देना पड़ रहा है। विकास शून्य है। वास्तव में इसे नकारात्मक अंक दिया जाना चाहिए। नेता प्रतिक्ष सिद्धरामय्या ने कहा कि उन्हें बोम्मई से काफी उम्मीदें थी। लेकिन, उन्होंने निराश किया। सरकार सभी मोर्चों पर विफल रही।

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