मौजूदा समय में बसों का अलग अलग रंग हैं। वहीं बीएमटीसी के दो दशकों पर नजर डालें तो लम्बे समय तक बीएमटीसी की बसें सिर्फ सफेद और नीले रंग में रंगी दिखती थी। हालांकि पिछले कुछ वर्षों के दौरान बसों के रंग बार-बार बदले गए। अलग अलग समय पर खरीदी गई या नवीनीकृत बसों को कभी हरे रंग से तो कभी नारंगी या नीले रंग से रंग दिया गया। इससे बीएमटीसी बसों की कोई विशिष्ट पहचान नहीं रह गई।
बीएमटीसी बोर्ड की बैठक में बसों को एकरूपता देने पर चर्चा की गई और बसों को सिर्फ सफेद और नीले रंग से रंगने पर सहमति बनी। इसके तहत बीएमटीसी के लिए खरीदी जाने वाली सभी नई बसें सिर्फ सफेद और नीले रंग की होंगी जबकि बीएमटीसी के बेड़े में मौजूद करीब 6000 बसें जब रखरखाव के लिए जाएंगी तो उन्हें भी दोबारा सफेद और नीले रंग से रंगा जाएगा। वातानुकूलित बसें सिर्फ नीले रंग की रहेंगी।
बीएमटीसी के बेड़े में करीब 600 एसी, 4000 हरे रंग की और 640 नारंगी रंग की बसें हैं। बीएमटीसी अधिकारियों का मानना है कि भिन्न रंगों से निगम को कोई अतिरिक्त फायदा नहीं है बल्कि यह कई बार यात्रियों को भ्रमित करता है। इसलिए ब्रांड बेंगलूरु को निखारने के क्रम में बीएमटीसी को एक ब्रांड के रूप में विकसित करने के लिए बसों को एक रंग में रंगने का निर्णय लिया गया है।
वर्ष-1997 तक बसों का रंग था लाल
बेंगलूरु में पहले शहरी परिवहन के लिए सभी बसें कर्नाटक राज्य पथ परिवहन निगम (केएसआरटीसी) के अंतर्गत बीटीएस नाम से चलती थीं और उनका रंग लाल था। वर्ष-1997 में केएसआरटीसी को विभाजित कर बीएमटीसी का गठन हुआ। बीएमटीसी के गठन के बाद बसों का रंग सफेद और नीला हो गया लेकिन वर्ष-2015 से बसों को उनके रूटों के हिसाब से अलग अलग रंगों में रंगा गया। मेट्रो फीडर बसों का रंग नारंगी, एसी बसों रंग नीला और अन्य बसों का रंग हरा हो गया। साथ ही सफेद और नीले रंग की बसें भी शामिल रहीं।