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बैंगलोर

दो घंटे का अनूठा मिशन होगा पीएसएलवी सी-40

दो अलग-अलग कक्षाओं में भेजे जाएंगे 31 उपग्रह, 30 उपग्रह समान कक्षा में, एक उपग्रह अलग कक्षा में

बैंगलोरJan 10, 2018 / 08:28 pm

Rajeev Mishra

pslv c 40
बेंगलूरु. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का विश्वसनीय रॉकेट धु्रवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) सी-40 आगामी 12 जनवरी को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लांच पैड से अर्थ ऑब्जर्वेशन उपग्रह कार्टोसैट-2 व 30 अन्य उपग्रहों को लेकर सुबह 9.28 बजे उड़ान भरेगा। पीएसएलवी की यह उड़ान अनूठी और विशेष है।
दरअसल, पीएसएलवी का यह मिशन 2 घंटे 21 सेकेंड तक चलेगा और इस दौरान 30 उपग्रहों को एक समान कक्षा में जबकि 1 उपग्रह को अलग प्रकार की कक्षा में स्थापित करेगा।
इसरो निदेशक (जनसंपर्क) देवी प्रसाद कार्णिक ने बताया कि इस अभियान में कार्टोसैट-2 श्रृंखला उपग्रह सहित अन्य 30 उपग्रहों को पहले 505 किलोमीटर ऊपर धु्रवीय सूर्य समकालिक कक्षा (एसएसओ) में स्थापित किया जाएगा और बाद में 1 शेष भारतीय उपग्रह माइक्रोसैट को 359 किलोमीटर की ऊंचाई वाली धु्रवीय सूर्य समकालिक कक्षा (एसएसओ) में भेजा जाएगा। पूरे मिशन के दौरान रॉकेट पीएसएलवी सी-40 के चौथे चरण को तीन बार स्विच ऑन और स्विच ऑफ किया जाएगा।
प्रक्षेपण के करीब 17 मिनट 18 सेकेंड बाद कार्टोसैट-2 श्रृंखला उपग्रह 510 किमी ऊंचाई पर रॉकेट से अलग होगा और अपनी कक्षा में प्रवेश करेगा। इसके बाद एक-एक कर सभी उपग्रह रॉकेट के चौथे चरण से अलग होंगे और अपनी-अपनी कक्षाओं में प्रवेश करेंगे। प्रक्षेपण के 23 मिनट 56 वें सेकेंड में 519 किमी ऊंचाई तक एक को छोड़कर बाकी सभी उपग्रह अपनी-अपनी कक्षा में स्थापित हो जाएंगे। इसके बाद रॉकेट के चौथे चरण का इंजन स्विच ऑफ कर दिया जाएगा। लगभग 35 मिनट बाद (प्रक्षेपण के 58 वें मिनट में) 505 किमी ऊंचाई पर फिर से चौथे चरण का इंजन चालू किया जाएगा और दहन पैदा किया जाएगा। लेकिन, 5 सेकेंड बाद ही फिर इंजन स्विच ऑफ कर दिया जाएगा। प्रक्षेपण के 1 घंटा 44 सेकेंड बाद 359 किमी ऊंचाई पर फिर एक बार यान का इंजन 5 सेकेंड चालू किया जाएगा और स्विच ऑफ कर दिया जाएगा। प्रक्षेपण के 1 घंटा 45 मिनट 35 सेकेंड बाद 359.58 4 किमी की ऊंचाई पर आखिरी उपग्रह माइक्रोसैट अपनी कक्षा स्थापित होगा। यह इसरो का सौंवा उपग्रह होगा जो सौ किलोग्राम वर्ग का उपग्रह है। लेकिन, मिशन यहीं खत्म नहीं होगा। प्रक्षेपण के 2 घंटे 8 सेकेंड पर फिर एक बार इंजन चालू होगा और करीब 13 सेकेंड बाद 2 घंटे 21 सेकेंड पर बंद किया जाएगा।
वैज्ञानिकों का कहना है कि रॉकेट इंजन में दहन पैदा करने के बाद उसे स्विच ऑफ करना और फिर उसे स्विच ऑन करना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। एक बार रॉकेट इंजन में दहन पैदा होने के बाद उसमें बड़े पैमाने पर उष्मा पैदा होती है। अंतरिक्ष में उसे स्विच ऑफ कर ठंडा करना और थोड़े अंतराल के बाद उसे फिर चालू करना बेहद कठिन होता है। अंतरिक्ष में संचार उपग्रहों के इंजन को स्विच ऑन और स्विच ऑफ करना अलग है। उसमें इंजन को पुन: चालू करने में दिनों का अंतराल होता है मगर रॉकेट इंजन को कुछ ही मिनटों में स्विच ऑफ करना एवं फिर से स्विच ऑन करना बिल्कुल अलग बात है।

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