वाड्रफनगर के वार्ड क्रमांक 2 निवासी अशोक पासवान पिता दुखी पासवान 40 वर्ष की शादी नहीं हुई थी। वह मजदूरी कर जीवन-यापन कर रहा था। तीन-चार दिनों से उसकी तबीयत खराब थी, ऐसे में मां व बहन द्वारा उसका इलाज कराया जा रहा था। शनिवार की शाम उसका शरीर अचानक से ठंडा पडऩे लगा,
यह देख घरवाले घबरा गए और उसे अस्पताल ले जाने की तैयारी करने लगे। कोई साधन व वाहन नहीं मिलने पर उसका नाबालिग भांजा उसे माल ढोने वाले रिक्शे में लेकर उसे अस्पताल ले लिए निकल पड़ा। बीमार मामा को उसने रिक्शे पर लिटाकर ऊपर से शॉल से ढक दिया था।
रास्ते में आने-जाने वाले लोग यह देखते हुए निकलते गए लेकिन किसी ने मासूम की मदद नहीं की। यह नजारा लोगों को भावुक करने वाला था।
पुलिस ने पहुंचाया अस्पताल
जब मासूम अपने मामा को रिक्शे में ढोकर वाड्रफनगर चौकी के सामने पहुंचा तो चौकी प्रभारी ने उसे रोककर पूछताछ की। जब मासूम ने पूरी बात बताई तो पुलिस ने शरीर को छुकर देखा तो शरीर गर्म था।
फिर पुलिसकर्मियों ने उसकी मदद की और उसे अस्पताल पहुंचाया। यहां डॉक्टरों ने जांच पश्चात उसे मृत घोषित कर दिया। शाम होने की वजह से उसका पीएम नहीं हो सका।
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खून की कमी और पेट खाली होने की बात आई सामनेरविवार को मृतक का पीएम 3 डॉक्टरों की टीम द्वारा किया गया। बीएमओ शशांक गुप्ता ने बताया कि शॉर्ट पीएम रिपोर्ट में खून की कमी और पेट में अन्न का एक दाना भी नहीं मिलना बताया गया है।
पीएम रिपोर्ट आने के बाद ही वास्तविक स्थिति का पता चल पाएगा। अब यह भी पता किया जा रहा है कि आखिर किस कारण से मासूम भांजा अपने बीमार मामा को रिक्शे में ढोने के लिए विवश हुआ।